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20 साल की कानूनी लड़ाई के बाद चार भाइयों को मिला न्याय, संपत्ति विवाद में मिली जीत

एक लंबे मुकदमे के बाद हरेश जोगानी को अपने भाइयों को हर्जाने के तौर पर 2.5 बिलियन डॉलर (2,072 करोड़ रुपये) से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। गुजरात के मूल निवासी जोगानी भाइयों ने यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व में हीरा व्यापार के जरिए अपनी पहचान बनाई है।

चार भाइयों को 20 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 7 अरब डॉलर का मुआवजा दिया गया है। / Saúl Bucio

अमेरिका में एक दशक में सबसे बड़े फैसलों में से एक में भारत के चार भाइयों को 20 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 7 अरब डॉलर का मुआवजा दिया गया है। पारिवारिक साझेदारी समझौते के कथित उल्लंघन को लेकर इनका अपने पांचवें भाई के साथ विवाद चल रहा था। भारत में गुजरात के मूल निवासी जोगानी भाइयों ने यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व में हीरा व्यापार के जरिए अपनी पहचान बनाई है।

पांच महीने तक चली सुनवाई के बाद जूरी ने सोमवार को हरेश जोगानी को उनके भाइयों शशिकांत, राजेश, चेतन और शैलेश जोगानी को 2.5 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान करने और उनके दक्षिणी कैलिफोर्निया संपत्ति के शेयरों को बांटने का आदेश दिया। आदेश के मुताबिक हरेश को अपनी संपत्ति भी साझा करनी होगी, जिसमें लगभग 17,000 अपार्टमेंट शामिल हैं। इनकी कीमत अरबों अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

2003 में शुरू हुआ यह मुकदमा आखिरकार फैसला सुनाने वाली जुरी के पासा आया। इससे पहले यह केस लॉस एंजिल्स सुपीरियर कोर्ट में 18 अपीलों, कई वकीलों और पांच जजों के सामने से गुजरा। मुकदमे में आरोप लगाए गए थे कि हरेश जोगानी ने अपने भाइयों के साथ लंबे समय से चली आ रही साझेदारी का उल्लंघन किया था।

यह मामला भारत के भाइयों से जुड़े संपत्ति के विवाद से शुरू हुआ, जो मुख्य रूप से सैन फर्नांडो घाटी में 17,000 यूनिट को शामिल करने वाली 170 से अधिक अपार्टमेंट इमारतों से जुड़ा था। हरेश के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि इमारतों के मालिक के रूप में कागज पर हरेश जोगानी का नाम है। उनके वकील का कहना था कि कोई मौखिक साझेदारी नहीं थी, जैसा कि उनके भाई-बहनों ने आरोप लगाया है। हरेश अचल संपत्ति के एकमात्र मालिक थे।

लेकिन हरेश के भाइयों ने इसके विपरीत तर्क दिया और जूरी ने उनके साथ सहमति व्यक्त की। अदालत ने माना कि हरेश ने एक मौखिक अनुबंध का उल्लंघन किया। जूरी सदस्य ने माना कि मौखिक समझौते हीरे के व्यापार और गुजराती समुदाय दोनों के बीच प्रचलन में हैं। राजेश और चेतन जोगानी का प्रतिनिधित्व करने वाले रॉस एलएलपी के अटॉर्नी पीटर रॉस ने कहा कि हम इस फैसले के लिए जूरी के आभारी हैं। एक लंबे समय से चली आ रही गलती को सुधारा गया है, और भाई-भाई के खिलाफ यह जमीनी विवाद अब समाप्त हो सकता है।

शशिकांत जोगानी, जिनका प्रतिनिधित्व एक अन्य कानूनी फर्म ने किया था, उनको सबसे ज्यादा हर्जाना मिला। जूरी ने उन्हें 4.75 बिलियन से अधिक की संपत्ति दी। भाई शैलेश को 570 मिलियन डॉलर मिले। जूरी ने यह भी पाया कि मौजूदा भाई राजेश, चेतन और शशिकांत हर्जाने के हकदार हैं। इस मामले में सुनवाई शुक्रवार को होगी।

 

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