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महाकुंभ में भारत की सनातन संस्कृति के दर्शन कर रहे हैं विदेशी श्रद्धालु, साधु-संत

एप्पल के सह-संस्थापक और अरबपति कारोबारी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन महाकुंभ में विधि-विधान के साथ दीक्षा प्राप्त कर चुकी हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से भक्त नरसिम्हा स्वामी महाकुंभ में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं।

मध्य पूर्व से आए श्रद्धालु सनातन धर्म के दिव्य सार का अनुभव कर रहे हैं। उनकी भागीदारी दर्शाती है कि कैसे महाकुंभ 2025 इस भव्य आध्यात्मिक समागम में सीमाओं से परे संस्कृतियों को एकजुट कर रहा है। / X@MahaKumbh_2025

भारत की तीर्थनगरी प्रयागराज में चल रहे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन 'महाकुम्भ 2025' में विदेशी श्रद्धालु, साधु-संत और आस्थावान भारत की सनातन संस्कृति का दर्शन और अनुभव प्राप्त कर रहे हैं।

परंपराओं की दिव्यता और आयोजन की भव्यता उन्हे चकित कर रही है। पिछले कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर जो चर्चाएं हुई हैं उसके चलते भारतीय सनातन को लेकर दुनियाभर के लोगों में जिज्ञासा बढ़ी है।

अभी महाकुंभ को आरंभ हुए महज 4 दिन हुए हैं और इस दौरान कई देशों के साध-संतों और श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम ( गंगा, युमना और सरस्वती नदी की मिलन स्थली) में पवित्र स्नान किया है।

एप्पल के सह-संस्थापक और अरबपति कारोबारी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन महाकुंभ में विधि-विधान के साथ दीक्षा प्राप्त कर चुकी हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से भक्त नरसिम्हा स्वामी महाकुंभ में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं। 

नरसिम्हा स्वामी कहते हैं कि उन्होंने कहा कि मैं यहां कुंभ मेले में भाग लेने के लिए आया हूं। मैंने इसके बारे में कई साल पहले सुना था, लेकिन मैं यहां आने में असमर्थ था। कुंभ मेला एक त्योहार है जहां यहां गिराए गए अमृत को पाने के लिए बहुत सारे साधु-संत एक साथ आते हैं। मैं एक युवा था, लेकिन मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे। उनमें से एक सवाल यह था कि मेरे जैसे अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है? तो जब मैं सनातन धर्म में आया, तो मुझे कर्म और पुनर्जन्म के बारे में पता चला।



महाकुंभ में पवित्र स्नान के लिए 10 देशों का एक बड़ा प्रतिनिदिमंडल भी भारत यात्रा कर चुका है। महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल में फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) के बाह्य प्रचार एवं लोक कूटनीति प्रभाग द्वारा आमंत्रित किया गया है। था। 

महाकुंभ में विदेश से आए कई श्रद्धालुओं ने शिक्षा-दीक्षा लेकर अपनी पहचान बदल ली है। मिसाल के तौर पर थाईलैंड के चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय के शोध छात्र बवासा आवाहन नगर में महेशानंद बन गए हैं।

इसी तरह मास्को से आईं वोल्गा यहां महाकुंभ में आईं और माता गंगा बनकर विहार कर रही हैं। वोल्गा ने सिद्ध पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद पुरी से दीक्षा ले ली है। बाबाओं की दुनिया को नजदीक से देखकर वे अभिभूत हो गई हैं। 

वहीं, मॉरीशस से महाकुंभ पहुंचे एक कंटेंट क्रिएटर भारतीय अवधारणा 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना से ओत-प्रोत नजर आए। उन्होंने कहा कि इस आयोजन को देखकर ऐसा महसूस होता है कि जैसे हम एक वैश्विक परिवार से हैं।
 

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