अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने 18 जून को घोषणा की कि अमेरिका के नागरिकों के अविवाहित साथी, जो अमेरिका में 10 साल या उससे अधिक समय से रह रहे हैं, वे तेजी से नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, कॉलज की शिक्षा वाले अविवाहित बच्चे तुरंत काम के वीजा और भविष्य में कानूनी निवास के लिए पात्र होंगे। फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने इसका स्वागत किया है। इसके साथ ही FIIDS ने राष्ट्रपति बाइडन से आग्रह किया है कि वे नए घोषित कानूनी स्थिति और वर्क परमिट में डॉक्युमेंट ड्रीमर्स और बैकलॉग वाले ग्रीन कार्ड आवेदकों के जीवनसाथी को शामिल करें।
FIIDS ने कहा कि हमें दुख के साथ यह बताना होगा कि इस घोषणा में उन लाखों पतियों/पत्नियों को शामिल करने का अवसर छूट गया जो वैध, कर देने वाले, योगदान देने वाले प्रवासियों के हैं। ये 7% देश-वार कोटा के कारण लंबे समय से ग्रीन कार्ड के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनके अमेरिकी शिक्षित बच्चे 21 साल की उम्र में अवैध हो रहे हैं। उनके भी सपने हैं। वे भी सपने देखने वाले हैं। उन्हें इस तरह के उपायों से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए। स्थायी निवास का सपने देखने वालों की परवरिश अमेरिका में हुई है और वे इस देश को अपने घर के रूप में जानते हैं। फिर भी उन्हें इमीग्रेशन सिस्टम में बैकलॉग के कारण 21 वर्ष की आयु तक आत्म-निर्वासन होने का डर है।
FIIDS ने कहा कि इस प्रस्ताव में उन पतियों/पत्नियों को शामिल किया जाए जो 10+ वर्षों से ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार कर रहे हैं जिससे उन्हें वर्क परमिट/EAD मिल सके। इन पतियों/पत्नियों को EAD प्राप्त करने और अपने पति/पत्नी की नौकरी-आधारित ग्रीन कार्ड स्थिति से सीमित हुए बिना अलग से ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही उनके बच्चों को उनकी शिक्षा के आधार पर तुरंत EAD प्रदान किया जाए। इससे उनके परिवारों को एक साथ रहने में मदद मिलेगी। और वे अपनी पूरी क्षमता के साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान करने में सक्षम होंगे।
FIIDS ने 13 जून को कैपिटल हिल में एक सफल US इंडिया समिट का आयोजन किया था। इसमें महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों पर प्रभावशाली चर्चाएं हुईं। FIIDS के नीति और रणनीति प्रमुख खंडेराव कंड ने बताया कि 22 राज्यों के 135 से ज्यादा भारतीय अमेरिकी प्रतिनिधियों ने 35 राज्यों के 83 से अधिक निर्वाचित अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने भारत के लिए ICET और तकनीकी निर्यात छूट, भारत के प्रमुख रक्षा भागीदार की स्थिति को बढ़ावा देने, GC बैकलॉग को खत्म करने के लिए 7% प्रति देश कोटा को खत्म करने और अन्य आव्रजन सुधारों, हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक पूर्वाग्रह और घृणा अपराधों जैसे विषयों पर चर्चा की।
इस सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आई कि देश की राजनीति गतिविधियों में हिस्सा लेना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही अमेरिका-भारत के रिश्ते को मजबूत बनाने में भारतीय-अमेरिकियों का बहुत बड़ा रोल है। FIIDS विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए काम करने वाला एक बड़ा संगठन है।
सम्मेलन में जॉर्जिया के कांग्रेसी रिच मैककॉर्मिक ने लचीले इमिग्रेशन पॉलिसी का आह्वान करते हुए कहा कि हमें यहां कानूनी रूप से प्रवास करना आसान बनाना चाहिए और अवैध रूप से यहां आना कठिन बनाना चाहिए। उन्होंने अपने बिल का जिक्र करते हुए कहा जिसका उद्देश्य ग्रीन कार्ड पर 7 प्रतिशत की सीमा को हटाना और मौजूदा बैकलॉग को कम करना है।
प्रतिनिधि मैककॉर्मिक ने लोकतंत्र में संख्याओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय जो रिपब्लिकन यहूदी गठबंधन (RJC) से बड़ा और धनी है। उनमें आगामी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता है। अगर RJC हर एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपने लिए ला सकता है, तो कल्पना करें कि आप क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपके पास कितनी शक्ति है। आपका कितना प्रभाव है। आप अपने और अपने परिवारों को भविष्य के लिए कैसे स्थापित कर सकते हैं। यह सच्ची शक्ति है, इसलिए जुड़े रहें और लोगों को जोड़ें। आपके पास अमेरिका में सच्ची शक्ति होगी।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login