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क्या पोंजी स्कीम मामले में सिद्धार्थ जवाहर के खिलाफ सबूत जुटा पाएगी FBI? चल रही है जांच

महत्वपूर्ण है कि अभियोग में तमाम आरोप लगाए गए हैं, लेकिन अपराध के सबूत नहीं के बराबर हैं। जवाहर किसी भी प्रतिवादी की तरह अपराध साबित होने तक निर्दोष माना जाएगा। इस मामले की जांच एफबीआई और मैनहट्टन जिला अटॉर्नी कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

आरोप है कि जवाहर ने कथित तौर पर जुलाई 2016 और दिसंबर 2023 के बीच स्विफ्टआर्क निवेशकों से 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की। / Pexels

अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई निवेश सलाहकार सिद्धार्थ जवाहर द्वारा कथित तौर पर एक पोंजी स्कीम मामले की जांच में जुटी है। जांच शुरू में सेंट लुइस में केंद्रित थी, जो अब मियामी क्षेत्र को शामिल करने पर व्यापक हो गई है। इस मामले में एफबीआई अधिकारी संभावित पीड़ितों को आगे आने के लिए कह रहे हैं।

36 साल के जवाहर को 21 दिसंबर, 2023 को सेंट लुइस में अमेरिकी जिला न्यायालय में एक जूरी द्वारा वायर धोखाधड़ी और निवेश सलाहकार धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करना पड़ रहा था। 16 फरवरी को हिरासत की सुनवाई के दौरान सहायक अमेरिकी अटॉर्नी डेरेक वाइसमैन ने खुलासा किया कि मियामी, सेंट लुइस, कंसास सिटी, लॉस एंजिल्स, क्लीवलैंड, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और ऑस्टिन सहित कई शहरों में पीड़ितों की पहचान की गई है। इसके बाद एक जज ने जवाहर को मुकदमे तक हिरासत में रखने का आदेश दिया था।

जवाहर और उनकी टेक्सास स्थित निवेश फर्म, स्विफ्टआर्क कैपिटल एलएलसी के साथ निवेश करने वाले लोगों से एफबीआई ने संपर्क करने का आग्रह किया है। आरोप है कि जवाहर ने कथित तौर पर जुलाई 2016 और दिसंबर 2023 के बीच स्विफ्टआर्क निवेशकों से 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की। आरोप है कि वादे के अनुसार जवाहर ने धन का निवेश नहीं किया। इसकी बजाय उन्होंने कथित तौर पर निजी उड़ानों, लग्जरी आवास और असाधारण व्यक्तिगत खर्चों पर लगभग 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च कर दिए।

अभियोग में आगे आरोप लगाया गया है कि जवाहर ने निवेशकों को निवेश के मूल्य में पर्याप्त गिरावट का खुलासा किए बिना एक ही उद्यम, फिलिप मॉरिस पाकिस्तान (पीएमपी) में क्लाइंट फंड का भारी निवेश किया। टेक्सास स्टेट सिक्योरिटीज बोर्ड द्वारा जून 2022 में धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने का आदेश दिए जाने के बावजूद, जवाहर ने बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद भी निवेशकों से धन मांगना जारी रखा।

कानून के जानकारों का कहना है कि मामले में दोषी पाए जाने पर जवाहर को गंभीर दंड का सामना करना पड़ सकता है। प्रत्येक वायर धोखाधड़ी के आरोप में अधिकतम 20 साल की जेल की सजा और 250,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना हो सकता है। निवेश सलाहकार धोखाधड़ी के आरोप में अधिकतम पांच साल की जेल की सजा और 10,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना हो सकता है।

हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अभियोग में तमाम आरोप लगाए गए हैं, लेकिन अपराध के सबूत नहीं के बराबर हैं। जवाहर किसी भी प्रतिवादी की तरह अपराध साबित होने तक निर्दोष माना जाएगा। इस मामले की जांच एफबीआई और मैनहट्टन जिला अटॉर्नी कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। सहायक अमेरिकी अटॉर्नी डेरेक वाइसमैन अभियोजन पक्ष से हैं।

 

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