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₹1200000000000... भारत में लोकसभा चुनाव का खर्च जानकर चौंक जाएंगे!

अमितेंदु पालित का कहना है कि भारत में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 90 करोड़ से अधिक है। यदि ये सभी वोट डालते हैं तो इसका मतलब होगा कि 8.1 अरब की वैश्विक आबादी का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा चुनाव में भाग लेगा।

अमितेंदु पालित का मानना है कि ये चुनाव देश के आर्थिक भविष्य के लिए अहम साबित होंगे। /

भारत में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां जोरों पर हैं। इस बीच एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत के इस संसदीय चुनाव में 14.4 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 1200 अरब रुपये खर्च हो सकते हैं। 

इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (ISAS) के सीनियर रिसर्च फेलो अमितेंदु पालित ने एक हालिया लेख में ये अनुमान लगाते हुए भारत के आर्थिक भविष्य पर इसके प्रभावों का आकलन किया है। अमितेंदु आईएसएएस में ट्रेड एंड इकोनॉमिक्स के रिसर्च लीड हैं। उनका कहना है कि ये चुनाव देश के आर्थिक भविष्य को आकार देने के लिहाज से अहम साबित हो सकते हैं। 

पालित का कहना है कि भारत में ये चुनाव ऐसे समय हो रहे हैं, जब दुनिया भर के कई अन्य देश भी चुनावी गतिविधियों में व्यस्त हैं। रूस, इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 80 से अधिक देश साल 2024 की शुरुआत में अपनी सरकारें चुनने में जुटे हैं। 

उन्होंने लेख में कहा है कि भारत में होने वाले चुनाव कितना विशाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस चुनाव के लिए पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 90 करोड़ से अधिक है। यदि सभी पंजीकृत मतदाता अपना वोट डालते हैं तो इसका मतलब होगा कि 8.1 अरब की वैश्विक आबादी का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा चुनाव में भाग लेगा।

पालित ने अनुमानित चुनावी खर्च का हवाला देते हुए कहा कि यह लगभग 14.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। यह अनुमानित खर्च कांगो की अर्थव्यवस्था के बराबर है और मलावी, मॉरीशस और रवांडा जैसे देशों की तुलना में काफी बड़ा है।

पालित का कहना है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक आर्थिक नीतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को निजीकरण के माध्यम से बैंकिंग क्षेत्र को पुनर्जीवित करने, राष्ट्रव्यापी समान श्रम मानकों को लागू करने और मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में तेजी लाने जैसे कदम उठाने चाहिए। 

इसके अलावा, उन्होंने भारत की आगामी सरकार के सामने खड़ी घरेलू और बाहरी चुनौतियों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बढ़ती युवा आबादी के लिए रोजगार से लेकर कोरोना महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था को संभालना देश के लिए आवश्यक है। उनका अनुमान है कि अगले कुछ वर्ष भारत की आर्थिक तरक्की के लिए निर्णायक साबित होंगे। 

 

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