Ax-4 फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला, इसरो अंतरिक्ष यात्री के साथ लॉन्च होगा। एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए अगला वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। शुक्ला 40 वर्षों में परिक्रमा प्रयोगशाला में जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं जो अगले साल ISS में 14 दिन तक बिताएंगे।
इंडियास्पोरा के राजदूत और दक्षिण एशियाई पत्रकार संघ (SAJA) के अध्यक्ष श्री श्रीनिवासन ने पैनल चर्चा 'बियोंड बॉर्डर्स : भारत, प्रवासी और अंतरिक्ष अन्वेषण की खोज' पर पैनलिस्ट मिशन पायलट शुक्ला, अनीता डे प्रबंधक, नासा मुख्यालय और तेजपाल भाटिया, मुख्य राजस्व अधिकारी एक्सिओम स्पेस का संचालन किया।
मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा के कठोर प्रशिक्षण के बारे में बताया जिसमें कक्षीय यांत्रिकी, माइक्रोग्रैविटी संचालन, आपातकालीन तैयारी, अंतरिक्ष सूट और अंतरिक्ष यान प्रवेश तथा निकास अभ्यास के साथ ही आंशिक और पूर्ण मिशन सिमुलेशन शामिल हैं। भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमान पायलट रहे शुक्ला ने कहा कि भारत में मेरे प्रशिक्षण ने मुझे अंतरिक्ष अन्वेषण के विभिन्न पहलुओं के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयार किया है।
तेजपाल भाटिया ने वाणिज्यिक अंतरिक्ष अन्वेषण में एक्सिओम स्पेस की भूमिका पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से आगामी एक्स-4 मिशन के साथ। उन्होंने एक अन्य मिशन, नासा-इसरो एसएआर (NISAR) के बारे में भी बताया जिसे 2025 में भारत से लॉन्च किया जाना है। भाटिया ने कहा कि हम अगले 3-4 वर्षों में अंतरिक्ष से बहुत सारी परिवर्तनकारी तकनीक देखने जा रहे हैं।
अनीता डे ने कहा कि नासा के दृष्टिकोण से निचली कक्षा अधिक व्यवहार्य होती जा रही है। नासा अपना समय इससे आगे जाकर और मानवता को आगे और आगे बढ़ाने में बिता सकता है।'
नासा में कई भारतीय काम करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में श्रीनिवासन ने पैनलिस्टों से भारत के मूल्यों के बारे में पूछा और जानना चाहा कि इस संदर्भ में भारतीय संस्कृति का क्या प्रभाव है। इस पर डे ने कहा कि लगता है संस्कृतियों का संयोजन, जिसमें हम एक दूसरे से कुछ लेते हैं और कुछ पीछे छोड़ देते हैं उस लिहाज से आप्रवासी वास्तव में ग्रह से बाहर निकलने में सक्षम होने के लिए लाभ की जगह पर हैं।
पैनल का समापन अंतरिक्ष अन्वेषण में समावेशिता और सहयोग की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। शुक्ला ने महसूस किया कि जैसे-जैसे हमारी कक्षा का विस्तार होता है, हमारी परिभाषा का भी विस्तार होता है कि हम कौन हैं।
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