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जयपुर फुट के निर्माण की तकनीक देख अमेरिकी राजदूत गार्सेटी भी दंग

संस्था ने भारत और अन्य देशों में दिव्यांग लोगों को 20 लाख से ज्यादा कृत्रिम अंग, कैलिपर्स और अन्य सहायक उपकरण पूरी तरह मुफ्त मुहैया कराए हैं। इस पर राजदूत एरिक गार्सेटी ने काफी हैरानी जताई। 

राजदूत गार्सेटी ने जयपुर फुट के लिए संस्था की सराहना की। / BMVSS

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने हाल ही में भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (BMVSS) का दौरा किया और संस्था की ओर से विकलांगों की मदद के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी ली। 

इस दौरान समिति के संस्थापक और मुख्य संरक्षक देवेंद्र राज मेहता ने राजदूत गार्सेटी को जयपुर फुट के बारे में अवगत कराया और इसके निर्माण की जटिल प्रक्रिया दिखाई। रबर आदि से बने कृत्रिम पैर जयपुर फुट में गार्सेटी ने खासी दिलचस्पी दिखाई। 

संगठन की तरफ से बताया गया कि जयपुर फुट 42 से ज्यादा देशों में विकलांगों को मुफ्त प्रदान किया जा रहा है। BMVSS हर साल 35,000 से अधिक व्यक्तियों को जयपुर फुट और अन्य सहायक उपकरण प्रदान करता है।

संस्था ने भारत और अन्य देशों में दिव्यांग लोगों को 20 लाख से ज्यादा कृत्रिम अंग, कैलिपर्स और अन्य सहायक उपकरण पूरी तरह मुफ्त मुहैया कराए हैं। इस पर राजदूत ने काफी हैरानी जताई। 

संस्था ने प्रेस रिलीज में बताया कि राजदूत गार्सेटी ने जयपुर फुट के लिए संस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता और कम लागत वाले प्रोस्थेटिक पैर जयपुर फुट ने हजारों लोगों को फिर से चलने में मदद की है।

BMVSS द्वारा विकसित जयपुर फुट का विकास अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डिजाइन किया गया है। इसे टाइम पत्रिका द्वारा 2009 में दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में से एक के रूप में मान्यता दी जा चुकी है ।

BMVSS विकलांगों की सेवा के लिए कई उपकरण प्रदान करता है। साथ ही अनुसंधान एवं विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसने अपनी अनुसंधान परियोजनाओं में सहयोग के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, एमआईटी, इसरो और आईआईटी जोधपुर से भी समझौते किए हैं।

अपने उपकरणों के विकास और उन्हें बेहतर बनाने के लिए BMVSS ने जैन इरिगेशन, पिनेकल इंडस्ट्रीज, पॉलीमेडिक्योर और यूनिवर्सल मेडिकैप जैसी कंपनियों के साथ भी साझेदारी की है।
 

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