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अमेरिका में बंदूक हिंसा की महामारी: देसी लोग क्या कर सकते हैं?

1990 के बाद से बंदूकों के कारण 10 लाख से अधिक मानव जीवन खत्म हुए हैं। हमारे विचार में यह अमेरिका में बंदूक नरसंहार है।

सांकेतिक तस्वीर / Unsplash
  • डॉ. शैलेन्द्र पालविया और सुभोजित रॉय

संयुक्त राज्य अमेरिका में मौतों का एक प्रमुख कारण है बंदूक हिंसा। इसकी दर अधिकांश विकसित और विकासशील देशों की तुलना में अधिक है। प्रतिदिन 120 से अधिक लोग बंदूकों से मारे जाते हैं। इससे दोगुने लोग गोली से घायल होते हैं। दुनिया की केवल 4.2% आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में वैश्विक नागरिक बंदूक स्वामित्व का 46 प्रतिशत हिस्सा है।

1999 के बाद से अमेरिका में स्कूलों, सिनेमाघरों, सुपरमार्केट, रेस्तरां, पूजा स्थलों और मॉल या मूल रूप से अधिकांश सार्वजनिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर गोलीबारी होती रही है। बेशक, कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है। इस कारण अमेरिकी डर में जी रहे हैं। हमने बार-बार देखा है कि बंदूक हिंसा के प्रत्येक कृत्य के बाद प्रार्थनाएं, मोमबत्तियां, फूल, व्यापक मीडिया कवरेज और कार्रवाई का संकल्प लिया जाता है, लेकिन वास्तव में कुछ नहीं होता। 

आखिर बंदूक हिंसा की इस महामारी का कारण क्या है? उस समय की आवश्यकताओं के अनुसार 1791 में दूसरे संशोधन का अनुमोदन किया गया। लेकिन यह अब अप्रचलित है क्योंकि सुरक्षा आवश्यकताओं में भारी बदलाव आया है। दूसरे संशोधन में एक वाक्य ने भारी भ्रम पैदा कर दिया है कि 'एक अच्छी तरह से विनियमित मिलिशिया, एक स्वतंत्र राज्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है और लोगों के हथियार रखने और धारण करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।'

एक नजर देश के प्रमुख सामूहिक गोलीबारी मामलों पर...

  • 2017 में लास वेगास स्ट्रिप नरसंहार
  • 2016 में ऑरलैंडो नाइटक्लब नरसंहार
  • 2007 में वर्जीनिया टेक नरसंहार
  • 2012 में सैंडी हुक एलीमेंट्री नरसंहार
  • 2017 में टेक्सास फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च नरसंहार
  • 1991 में टेक्सास में लुबी का नरसंहार
  • 1984 में कैलिफोर्निया में सैन य्सिड्रो मैकडॉनल्ड्स नरसंहार
  • 2019 में एल पासो (TX) वॉलमार्ट मास शूटिंग)
  • 2022 में टेक्सास में रॉब एलीमेंट्री स्कूल नरसंहार
  • फ्लोरिडा में मार्जोरी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल शूटिंग, 2018
  • ओक्लाहोमा में संयुक्त राज्य डाक सेवा शूटिंग, 1986
  • कैलिफोर्निया में सैन बर्नार्डिनो सामूहिक गोलीबारी, 2015
  • 2009 में बिंघमटन, एनवाई गोलीबारी
  • 1999 में कोलोराडो में कोलंबिन हाई स्कूल नरसंहार

बंदूक हिंसा से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हर साल कम से कम 229 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है। बंदूकें हर साल 38,000 से अधिक लोगों की जान लेती हैं और लगभग 85,000 लोगों को घायल करती हैं। डॉक्टरों, नर्सों, अस्पतालों, कानून प्रवर्तन पेशेवरों आदि पर भारी खर्च किया जाता है। अमेरिकन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (APHA) का मानना है कि इस खतरनाक बंदूक हिंसा संकट से निपटने के लिए एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति अब बेहद जरूरी हो गई है। यह आश्चर्य की बात है कि अमेरिका के पांच प्रतिशत से अधिक बच्चे गोलीबारी के प्रत्यक्षदर्शी हैं। 

अहिंसा का जन्म, बंदूक हिंसा का अंत
दक्षिण एशियाई समुदाय ने आम तौर पर बंदूक हिंसा के खतरे को नजरअंदाज किया है। लेकिन भारतीय अमेरिकी, अन्य अल्पसंख्यक समूहों की तरह, दुर्भाग्य से बंदूक हिंसा से अछूते नहीं हैं। उदाहरण के लिए, ऐश्वर्या थातिकोंडा 6 मई, 2023 को डलास, टेक्सास में सामूहिक गोलीबारी में मारे गए नौ लोगों में से एक थीं; नवंबर 2018 में कारजैकिंग की घटना में एक किशोर ने 61 वर्षीय तेलंगाना के व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी; सितंबर, 2018 को सिनसिनाटी में एक बैंक में एक बंदूकधारी द्वारा की गई गोलीबारी में मारे गए तीन लोगों में एक 25 वर्षीय भारतीय युवक भी शामिल था; फरवरी 2017 में एक घृणा अपराध में, अमेरिकी नौसेना के एक दिग्गज ने श्रीनिवास कुचिभोटला की हत्या कर दी, जबकि दो लोगों - आलोक मदसानी और इयान ग्रिलोट को घायल कर दिया; और 5 अगस्त, 2012 को विस्कॉन्सिन सिख गुरुद्वारे में सामूहिक गोलीबारी में सात लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।

इन तमाम घटनाओं के बाद आखिरकार देसी (मूल रूप से भारतीय या भारतीय अमेरिकी) जाग गये। भारतीय अमेरिकियों और भारतीय प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले देसी लोगों ने महामारी के मूल कारणों को संबोधित करने और बंदूक हिंसा के पागलपन के खिलाफ दीर्घकालिक स्थायी धर्मयुद्ध का नेतृत्व करने के लिए हमारे युवाओं को शिक्षित करने के लिए इस संगठन को शुरू करने का फैसला किया। इस मुहिम को रेखांकित करते हुए यह विश्वास है कि भारतीय अमेरिकी आबादी का मात्र 1.5% हैं, लेकिन करों में 6% का योगदान करते हैं और इंजीनियरिंग, आईटी, शिक्षा, चिकित्सा, कानून और राजनीति जैसे कई व्यवसायों में सफल हैं और इस पागलपन के खिलाफ एक सार्थक युद्ध छेड़ने में बड़ा काम कर सकते हैं। 

इस एकल मुद्दे पर आधारित मतदान को बढ़ावा देने के लिए 18 अप्रैल, 2023 को एक सामुदायिक संगठन अहिंसा-एंड गन वायलेंस का जन्म हुआ। राज्य और संघीय राजनीतिक प्रतिनिधियों को चुनने के लिए युवा हमारी सबसे अच्छी उम्मीद हैं जो सख्त बंदूक कानूनों को पारित करने में मदद करते हैं। जॉर्जिया और वर्जीनिया में अहिंसा इंटर्नशिप प्रोफेसर शैलेन्द्र पाल्विया द्वारा संचालित की गईं और तीन अतिथि वक्ताओं- वैशेषी जलजम, स्वाति नारायण और श्वेता जैन द्वारा इनमें अहम भूमिका निभाई गई। स्वाति नारायण दो दशकों से अधिक समय से बंदूक हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए एक योद्धा रही हैं और 12 जून, 2024 को वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा संबोधित गन सेंस यूनिवर्सिटी सम्मेलन में आमंत्रित भागीदार थीं। वह AAPI समुदायों में बंदूक हिंसा के संबंध में व्हाइट हाउस में गोलमेज चर्चा में भी थीं।

बंदूक हिंसा की राजनीति
राष्ट्रपति बाइडेन ने 25 जून, 2022 को दोनों पार्टियों के 65 सीनेटरों द्वारा तैयार किए गए सबसे व्यापक बंदूक हिंसा विधेयक पर हस्ताक्षर किए। यह विधेयक युवाओं के लिए बंदूकें खरीदने की आवश्यकताओं को सख्त करेगा, घरेलू दुर्व्यवहार करने वालों को आग्नेयास्त्रों की बिक्री से रोकेगा और स्थानीय अधिकारियों को खतरनाक समझे जाने वाले लोगों से अस्थायी रूप से हथियार छीनने में मदद करेगा।

ट्रम्प अमेरिकी इतिहास में सबसे अधिक बंदूक समर्थक राष्ट्रपति रहे हैं जबकि राष्ट्रपति बाइडेन-हैरिस टीम बंदूक हिंसा को रोकने के सबसे मजबूत समर्थक रहे हैं। बाइडेन ने मंगलवार, 11 जून, 2024 को गन सेंस यूनिवर्सिटी सम्मेलन को संबोधित किया और बंदूक हिंसा को रोकने के लिए कई पहल करने का वादा किया है।

(डॉ. शैलेन्द्र सी. पाल्विया लॉन्ग आइलैंड यूनिवर्सिटी (एलआईयू) पोस्ट में एमआईएस के इमेरिटस प्रोफेसर हैं। एलआईयू में वह 1997-2004 के दौरान प्रबंधन सूचना प्रणाली कार्यक्रम के निदेशक थे। सुभोजित रॉय अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ 1997 से अटलांटा के निवासी हैं और वह मिशन क्रिटिकल में एक स्वतंत्र सॉफ्टवेयर सलाहकार हैं)

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