इस समय भारत को जानो (Know India Programme, KIP) कार्यक्रम का 74वां संस्करण जारी है। इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 21 से 35 आयु वर्ग के भारतीय मूल के 40 लोगों (PIO) यानी युवाओं के साथ हमारी हालिया बातचीत में 'गिरमिटिया' राष्ट्रों और प्रवासियों के संघर्षों की स्थायी व्यथा का अहसास किया गया है।
गिरमिटिया को कभी-कभी जहाजी भी कहा जाता है। गिरमिटिया भारतीय आबादी का वह हिस्सा था जो भारतीय गिरमिटिया श्रमिक श्रेणी के तहत स्थानांतरित हुआ था। गुलामी के खात्मे के बाद ब्रिटिश और फ्रांसीसियों ने 18वीं शताब्दी में भारतीय गिरमिटिया श्रमिक समझौते के माध्यम से भारतीयों को भेजकर अपने उपनिवेशों में श्रमिकों की कमी को दूर करने की कोशिश की। उन हालात में कई कारकों ने कुछ भारतीयों को दूर देशों में अवसर तलाशने के लिए प्रेरित किया मगर कई लोग ठेकेदारों की धोखाधड़ी के चलते इस प्रणाली के भीतर शोषण का शिकार हो गए।
और इस तरह से प्रवासित हुए भारतीय अंततः मॉरीशस, सेशेल्स, रीयूनियन, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे विभिन्न देशों में बस गए। उन लोगों ने शुरू में गन्ने और कॉफी के बागानों में मजदूरी की। गुलामी खत्म होने के बाद प्रवासन में वृद्धि हुई। वर्ष 1842 और 1870 के बीच कुल 525,482 भारतीयों ने ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेशों में प्रवास किया।
बहरहाल, भारत सरकार ने इन 40 युवा PIO के लिए एक संरचित कार्यक्रम आयोजित किया है। ये युवा इसी कार्यक्रम के तहत भारत के विभिन्न हिस्सों जाएंगे। इस कार्यक्रम में स्मारकों, पर्यटक आकर्षणों, सांस्कृतिक केंद्रों, सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों का दौरा शामिल है। इसका उद्देश्य उन्हें भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति, सांस्कृतिक विरासत और हाल के विकास की व्यापक तस्वीर दिखाकर उनमें एक समझ पैदा करना है।
भारत को जानो जैसी पहल ने वैश्विक प्रवासी समुदाय, विशेषकर पुरानी पीढ़ी से अपार प्रशंसा और समर्थन अर्जित किया है। इसका महत्व प्रवासी सदस्यों की युवा पीढ़ी और उनकी पैतृक मातृभूमि में हो रही प्रगति के बीच एक सेतु के रूप में काम करने की क्षमता में निहित है। यानी वे यह जान-समझ सकें कि कभी उनका मूल रही भूमि में क्या कुछ हो रहा है।
यही नहीं, यह कार्यक्रम प्रतिभागियों के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक लगाव की गहरी भावना को बढ़ावा देता है। भारत के साथ उनके संबंधों को मजबूत करता है और दूर देशों में रहने के बावजूद अपनेपन की भावना में वृद्धि करता है।
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