भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता सितारा बना हुआ है। वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। हार्वर्ड इंडिया सम्मेलन में शामिल होने आए विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत में बताया कि भारत को अपनी जीडीपी को अनुमानित 6 प्रतिशत से आगे ले जाने और 2047 तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है।
हार्वर्ड कॉन्फ्रेंस में "इंडिया राइजिंग" थीम के बारे में आप क्या सोचते हैं। क्या यह भारत में आर्थिक विकास की मौजूदा संभावनाओं के साथ मेल खाती है?
इंडिया राइजिंग एक बहुत अच्छा टाइटल है। इसलिए भी कि भारत को अभी लंबा सफर तय करना है। जहां तक बाकी दुनिया का सवाल है तो वह भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार की बहुत परवाह करते हैं। भारतीयों के लिए जो ज्यादा मायने रखता है, वह है क्वालिटी लाइफ और अच्छा जीवन स्तर। यह देश की प्रति व्यक्ति आय पर काफी कुछ निर्भर करता है। मैं इसी को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा हूं। बाहरी लोगों के लिए जीडीपी बहुत मायने रखती है। भारतीयों के लिए प्रति व्यक्ति जीडीपी मायने रखती है। भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग दो से ढाई हजार है। हम चाहते हैं कि यह 25,000 और इससे भी ज्यादा हो जाए। ऐसे में मुझे लगता है कि भारत को भारत को इसके लिए कई काम करने होंगे।
दूसरी बात है, भारत की जीडीपी लगातार बढ़ रही है। यह अभी किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक है। यह प्रति वर्ष लगभग 6% है। यह एक उपलब्धि है। यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन भारत की क्षमता इससे भी ज्यादा है। दूसरी चीज जो हमें करनी है, वह यह है कि हम अपनी क्षमता को वास्तव में 6 प्रतिशत ही नहीं बल्कि 7-8 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोशिश करें। यही वह बात है, जो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं।
भारत निजी निवेशकों के लिए प्रक्रिया को आसान बना सकता है। पेशेवरों खासकर महिला कामगारों के लिए अर्थव्यवस्था में योगदान आसान बना सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को और ज्यादा कुशल बनाने के लिए काम किया जा सकता है। मुझे लगता है कि 2050 या 2047 तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को 7% या फिर 8% की दर से बढ़ने की जरूरत है। इनमें से कुछ चीजें ऐसी बातों पर निर्भर करती हैं जो बाहर हो रही हैं। अगर विश्व की बाकी अर्थव्यवस्थाएं इस दौरान अच्छा प्रदर्शन करेंगी तो भारत भी अच्छा करेगा। लवरना भारत के लिए छह, सात % की दर से विकास करना कठिन होगा।
महंगाई और बेरोजगारी अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इनसे निपटने के लिए भारत क्या उपाय कर सकता है?
मुझे लगता है कि आप यह कहना चाह रही हैं कि चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है। दुनिया में हर जगह महंगाई बढ़ी है। दूसरी बात भारत में मुद्रास्फीति की दर असल में दूसरे देशों की तुलना में काफी अच्छी रही है। आरबीआई आदि ने मौद्रिक नीति को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है।
कई बड़ी मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं इस काम को अच्छी तरह से कर पाईं क्योंकि उन्हें पिछले संकटों से निपटने का अनुभव है। इसी वजह से उन्होंने मुद्रास्फीति का दबाव देखते ही तुरंत कदम उठाने शुरू कर दिया। उन्होंने मुद्रास्फीति को जड़ नहीं जमाने दी। भारत भी ऐसा ही है।
अब आप सामान्य तौर पर देखें तो कीमतें ऊपर नीचे होती रहती हैं। यह डिमांड और सप्लाई का खेल है। अब सवाल ये उठता है कि क्या आप चीजों का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं? आपको कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को और ज्यादा कुशल बनाने की आवश्यकता है।
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