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'भारत में HRD के पितामह' अब Coacharya के सलाहकार बोर्ड का हिस्सा बने

डॉ टीवी राव के प्रमुख योगदानों में लीडरशिप डेवलपमेंट की उस क्रांतिकारी पद्धति का विकास भी शामिल है, जिसने अमेरिका में 360-डिग्री फीडबैक सिस्टम की नींव रखी थी। 

डॉ टीवी राव दो दशक से अधिक समय तक आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे हैं। / Image: Coacharya

डॉ. टीवी राव कोआचार्य (Coacharya) के सलाहकार बोर्ड में शामिल किया गया है। डॉ. राव भारत में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) के क्षेत्र की चर्चित हस्ती रहे हैं। अब वह लॉस एंजिल्स स्थित कोच ट्रेनिंग कंपनी में सलाहकार के रूप में सेवाएं देंगे। 
 
कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि डॉ राव को भारत में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एचआरडी) के पितामह के रूप में जाना जाता है। उनके प्रमुख योगदानों में लीडरशिप डेवलपमेंट की उस क्रांतिकारी पद्धति का विकास भी शामिल है, जिसने अमेरिका में 360-डिग्री फीडबैक सिस्टम की नींव रखी। 

कोआचार्य के सीईओ प्रणव रामनाथन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हम अपने सलाहकार बोर्ड में डॉ टीवी राव का स्वागत करने के लिए रोमांचित हैं। मानव संसाधन विकास में उनका व्यापक अनुभव व दूरदर्शी नेतृत्व विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में कोचिंग को लोकतांत्रिक बनाने के हमारे मिशन को आगे ले जाएगा। 

डॉ राव दो दशक से अधिक समय तक अहमदाबाद के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में प्रोफेसर के रूप में कार्य कर चुके हैं। अपनी नियुक्ति पर डॉ राव ने कहा कि मैं कोआचार्य के सलाहकार बोर्ड में एक पर्यवेक्षक ही नही बल्कि एक व्यावहारिक योगदानकर्ता के रूप में शामिल होकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। हमारी साझेदारी का उद्देश्य कोचिंग शिक्षा में व्यावहारिकता लाना और उसे समग्र शिक्षा का रूप देना होगा।

बता दें कि कोआचार्य कोचिंग को लोकतांत्रिक बनाने के लिए समर्पित है। जयपुर रग्स, टीच फॉर इंडिया और वी-ऐस जैसे संगठनों के साथ साझेदारी के जरिए कोआचार्य ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है और कई नए पहल की हैं।

शिक्षा प्रणाली में कोचिंग को एकीकृत करने का डॉ राव का मिशन समग्र शिक्षा के लिए कोआचार्य की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। उनका उद्देश्य 8-9 साल के बच्चों को कोचिंग कौशल के जरिए सशक्त बनाना है। डॉ. राव स्कूल प्रिंसिपलों को कोचिंग की नई तकनीकों से लैस करने पर जोर देते रहे हैं ताकि वे और अधिक समग्र एवं नैतिकता आधारित शिक्षा प्रणाली में योगदान दे सकें। 

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