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दीपावली : भारतीय प्रवासियों के घरों से अमेरिकी संस्कृति के हृदय तक पहुंचने की यात्रा

एक समय दिवाली प्रवासी घरों में बंद दरवाजों के पीछे मनाया जाने वाला एक निजी त्योहार था। लेकिन अब एक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक उत्सव में तब्दील हो गया है। जो अब सार्वजनिक स्थानों, कॉरपोरेट ऑफिसों और यहां तक कि व्हाइट हाउस को भी रोशन करता है।

एक सांस्कृतिक घटना को त्योहार के रूप में मान्यता देना कई महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलताओं को दर्शाता है। / Rangaswami

एमआर रंगास्वामी : अमेरिका में दीपावली की कहानी पिछले तीन दशकों में भारतीय-अमेरिकी पहचान और अमेरिकी बहुसांस्कृतिकता के विकास का एक अद्भुत प्रमाण है। यह एक समय पर प्रवासी घरों में बंद दरवाजों के पीछे मनाया जाने वाला एक निजी त्योहार था। लेकिन अब एक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक उत्सव में तब्दील हो गया है। जो अब सार्वजनिक स्थानों, कॉरपोरेट ऑफिसों और यहां तक कि व्हाइट हाउस को भी रोशन करता है।

यह परिवर्तन अमेरिकी समाज में भारतीय-अमेरिकियों की बढ़ती मौजूदगी और प्रभाव को दिखाता है। पीढ़ीगत बदलाव, तकनीकी जुड़ाव और बढ़ती सांस्कृतिक जिज्ञासा की संयुक्त शक्तियों के माध्यम से दीपावली निजी से उभरकर अमेरिका के सांस्कृतिक कैलेंडर का एक जीवंत हिस्सा बन गया है। यह भारतीय अमेरिकी यात्रा में सांस्कृतिक अलगाव से मुख्यधारा में मान्यता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

1980 के दशक और उससे पहले की पहली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकियों के लिए दीपावली का जश्न मुख्य रूप से घरों, मंदिरों और नजदीकी भारतीय समुदाय के जुटान तक सीमित था। परिवारों ने निजी रस्मों, प्रार्थनाओं और त्योहारों के भोजन के माध्यम से परंपराओं को बनाए रखा। यह त्योहार एक सांस्कृतिक बुलबुले में था, जो मुख्यधारा अमेरिका को शायद ही नजर आता था। भारतीय अमेरिकियों को त्योहार मनाने के लिए काम या स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती थी। पारंपरिक वस्तुओं की सीमित उपलब्धता का मतलब सावधानीपूर्वक योजना बनाना था, जिसमें अक्सर विशेष दुकानों पर जाना या रिश्तेदारों द्वारा भारत से सामान लाना शामिल था।

1990 और 2000 के दशक में विश्वविद्यालयों ने भारतीय संस्कृति और मुख्यधारा अमेरिका के बीच का पुल बनाना शुरू किया। भारतीय छात्र संघों ने दीपावली को कैंपस में बड़े ईवेंट में बदल दिया। सांस्कृतिक शो, नृत्य प्रदर्शन और त्योहारों के भोजन ने गैर-भारतीय छात्रों को इस जश्न से रूबरू कराया। बोस्टन, न्यू यॉर्क, लॉस एंजिल्स और अन्य शहरी केंद्रों के बड़े विश्वविद्यालय सांस्कृतिक आदान-प्रदान के केंद्र बन गए।

पहली पीढ़ी के भारतीय प्रवासी अक्सर सख्त पारंपरिक रस्मों को बनाए रखते थे। लेकिन दूसरी पीढ़ी के भारतीय अमेरिकियों ने हाइब्रिड जश्न बनाए। जिसमें भारतीय परंपराओं को अमेरिकी सामाजिक रस्मों के साथ मिलाया गया। विशेष रूप से, टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया की भूमिका ने दीपावली के बारे में मुख्यधारा में जागरूकता फैलाई। सोशल मीडिया ने दीपावली को एक दूर के विदेशी त्योहार की जगह स्थानीय समुदायों में होने वाले जश्न में बदल दिया। इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म ने दीपावली जश्न की सुंदरता को दिखाया। ऑनलाइन समुदायों ने रेसिपी, सजावट के विचार और जश्न के सुझाव साझा करने में मदद की। टेक्नोलॉजी ने भौगोलिक अंतर को पाटने में और महाद्वीपों के पार परिवारों को जोड़ने में मदद की।

और यह जागरूकता व्यापार और राजनीति दोनों में फैल गई। बड़े भारतीय-अमेरिकी कर्मचारियों वाले कंपनियों ने दीपावली को मान्यता देना शुरू कर दिया। विशेष करके टेक्नोलॉजी कंपनियों ने दीपावली जश्न को अपनाया, जो उनके कर्मचारियों की जनसांख्यिकी को दर्शाता है। बड़े रिटेलर्स ने दीपावली की व्यावसायिक संभावना को पहचाना। भारतीय संस्कृति के पक्ष अमेरिकियों में स्वीकृति और लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। योग और ध्यान ने मुख्यधारा में स्वीकृति प्राप्त की। भारतीय भोजन, संगीत, कला और नृत्य में बढ़ती रूचि ने भारतीय अमेरिकियों के प्रति अधिक जिज्ञासा पैदा किया।

बड़े शहरों में अक्सर बड़े सार्वजनिक दीपावली कार्यक्रम होते हैं, जिससे यह व्यापक समुदायों के लिए अधिक सुगम हो जाता है। सार्वजनिक हस्ती और राजनेता अपने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस त्योहार को मान्यता देते हैं। इसमें व्हाइट हाउस भी शामिल है। राष्ट्रपति ओबामा और राष्ट्रपति बाइडेन ने व्हाइट हाउस में बड़े दीपावली पार्टी का आयोजन किया है। ऐसी मान्यता ने दीपावली डाक टिकट के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2015 में Indiaspora ने संयुक्त राज्य डाक सेवा से दीपावली डाक टिकट जारी करने का आग्रह करने वाले एक सफल अभियान को सुचारू रूप से चलाया, जिससे 40 लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिकी समुदाय को सम्मानित किया जा सके। यह अभियान 2001 में भारतीय समुदाय के वरिष्ठ नेताओं द्वारा शुरू किया गया था और 2009 में तब जब राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में एक दीया जलाया, तब यह अभियान प्रमुखता हासिल कर गया।

Indiaspora के स्वयंसेवकों ने कांग्रेस के हॉल में चलकर कई कांग्रेस कार्यालयों में चुने गए अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाकात की। उनमें से दर्जनों को दीपावली डाक टिकट का समर्थन करने वाले कांग्रेस प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाया। हमने इस पहल के समर्थन में समुदाय के सदस्यों से हजारों पत्र अमेरिकी डाकघर के महानिदेशक को लिखने के लिए एक जन अभियान चलाया। हमने वॉशिंगटन डीसी में बड़े दीपावली कार्यक्रम भी आयोजित किए और हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी जैसी प्रमुख हस्तियों को हमारे कारण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आमंत्रित किया। दीपावली डाक टिकट को कई प्रमुख प्रतिनिधियों के प्रयासों के बिना मंजूरी नहीं मिली होती। इनमें प्रतिनिधि कैरोलिन मैलोनी (D-NY) और अमी बेरा (D-CA), सीनेटर मार्क वार्नर (D-VA) और सीनेटर जॉन कॉर्नीन (R-TX) ने सीनेट में प्रस्ताव पेश किया था।

आज हम दीपावली को कई नगर पालिकाओं और स्कूल जिलों में एक त्योहार के रूप में देखते हैं, जिसमें न्यू यॉर्क सिटी भी शामिल है। एक सांस्कृतिक घटना को त्योहार के रूप में मान्यता देना कई महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलताओं को दर्शाता है। भारतीय अमेरिकियों को आबादी के बड़े हिस्से द्वारा अमेरिकियों के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, जो अमेरिकी समाज में योगदान करने में सक्षम और इच्छुक हैं। यह यह पुष्टि करता है कि संयुक्त राज्य की अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर हमारा योगदान और प्रभाव सकारात्मक रूप से गूंज रहा है। इससे इस देश के अंदर विभिन्न संस्कृतियों के साथ संवाद के लिए अधिक अवसर बन सकते हैं।

(लेखक एमआर रंगास्वामी Indiaspora के संस्थापक हैं। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका लक्ष्य भारतीय प्रवासी की सफलता को अर्थपूर्ण प्रभाव में बदलना है।)

एमआर रंगास्वामी Indiaspora के संस्थापक हैं। /

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