आजकल के दौर में शारीरिक पीड़ा से बहुत से लोग परेशान हैं। आयुर्वेद में इससे छुटकारा पाने के तीन प्रमुख मंत्र बताए गए हैं। इनके बारे में जानकारी देते हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में आयुर्वेद के असिस्टेंट प्रोफेसर वैद्य सुशील दुबे ने कहा कि दर्द कम करने के उपायों के तीन प्रमुख स्तंभ हैं- आहार, नींद और ब्रह्मचर्य। ये इतने कारगर हैं कि आयुर्वेद में इन्हें सुपर मेडिसिन बताया गया है।
दुबे ने बताया कि दर्दनिवारक के तौर पर तीन तरह के उपाय अमल में लाए जाते हैं, जो हैं एनाल्जेसिक, एंटीपायरेटिक और एंटी इन्फ्लेमेटरी। उन्होंने कहा कि जिस तरह पूरा ब्रह्मांड तीन तत्वों- सूर्य, चंद्रमा और वायु द्वारा शासित है, उसी तरह हमारा शरीर वात (अंतरिक्ष व वायु), पित्त (अग्नि व जल) और कफ (पृथ्वी व जल) के संतुलन से कार्यों को पूरा करता है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आप गौर से देखें तो पाएंगे कि गैस जो कि दूसरी व तीसरी अवस्था है, हमारे शरीर के समस्या क्षेत्र को परिभाषित करती है। देखा जाए तो गैस ही मूवमेंट का प्रमुख कारण है। इसी मूवमेंट की वजह से शरीर में अलग अलग जगहों पर दर्द होता है।
दुबे वर्तमान में आयुर्वेद के उपयोग से गैर-संचारी रोगों के इलाज एवं रोकथाम पर बीएचयू में शोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि शोध के दौरान हमने आयुर्वेद पर आधारित आहार प्रणाली तैयार करने का छोटा सा प्रयास किया है। आहार की एक श्रृंखला होनी चाहिए। अगर हम इसका पालना करते हैं तो यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
दुबे सुबह खाली पेट सबसे पहले फल खाने का सुझाव देते हैं। उनका कहना है कि इससे मस्तिष्क में तृप्ति का संकेत जाता है, जो ओवर ईटिंग को रोकता है। अगर हम सबसे पहले फलों का रस पीते हैं तो यह गैर-संचारी रोगों को रोकने के लिए हमारा पहला उपाय हो सकता है। हालांकि जिन लोगों को डायबीटीज जैसी अन्य बीमारियां हैं, उन्हें इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह लेकर ही करना चाहिए।
दुबे ने इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदों का जिक्र करते हुए कहा कि रात का खाना हल्का होना चाहिए। अगर हम फल ज्यादा खाएं, बाकी चीजें कम करें और खाने में कुछ ड्राई फ्रूट्स भी शामिल करें तो इस तरह हम बिना फास्ट फूड के भी व्रत रख सकते हैं।
बायोकेमिस्ट्री और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की स्कॉलर यामिनी भूषण त्रिपाठी का कहना है कि आयुर्वेद इलाज का ही एक तरीका है। प्राथमिक विकल्प के तौर पर हर्बल दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। वो संभव नहीं है तो खनिज यानी मिनरल्स से इलाज किया जाता है। अगर इससे भी काम न बने तो पशु उत्पादों कैा प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
(उपायों को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें)
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