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विश्व बैंक ने कहा- मजबूत विकास के बावजूद दक्षिण एशिया संवेदनशील!

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रायसर का कहना है कि दक्षिण एशिया की विकास संभावनाएं अल्पावधि में तो उज्ज्वल बनी हुई हैं लेकिन नाजुक राजकोषीय स्थिति और बढ़ती जलवायु चुनौतियां रास्ते की बड़ी बाधाएं हैं। ऐसे में विकास को अधिक लचीला बनाने के लिए निजी निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार वृद्धि को मजबूत करने के लिए नीतियां अपनाने की जरूरत है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट में निजी निवेश बढ़ाने पर जोर। / Image : X@ World Bank

विश्व बैंक का कहना है कि 2024 में दक्षिण एशिया में विकास दर 6.0% मजबूत होने की उम्मीद है। यह मजबूती मुख्य रूप से भारत में मजबूत विकास और पाकिस्तान व श्रीलंका में रिकवरी के कारण संभव हुई है। विश्व बैंक ने अपने साल में दो बार के क्षेत्रीय दृष्टिकोण में कहा है कि लगातार संरचनात्मक चुनौतियों से निरंतर विकास को नुकसान पहुंचने का खतरा है। इससे क्षेत्र में नौकरियां पैदा करने और जलवायु चुनौतियों का जवाब देने में बाधा आ रही है।

नवीनतम दक्षिण एशिया विकास अपडेट जॉब्स फॉर रेजिलिएंस के अनुसार दक्षिण एशिया अगले दो वर्षों तक दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बने रहने की उम्मीद है और 2025 में विकास दर 6.1% होने का अनुमान है। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यह मजबूत दृष्टिकोण भ्रामक है। अधिकांश देशों के लिए विकास अभी भी महामारी-पूर्व स्तर से नीचे है और सार्वजनिक व्यय पर निर्भर है। यही नहीं सभी दक्षिण एशियाई देशों में निजी निवेश की वृद्धि तेजी से कम हो गई है और यह क्षेत्र अपनी तेजी से बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी के साथ तालमेल बैठाने के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर पा रहा। 

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रायसर का कहना है कि दक्षिण एशिया की विकास संभावनाएं अल्पावधि में तो उज्ज्वल बनी हुई हैं लेकिन नाजुक राजकोषीय स्थिति और बढ़ती जलवायु चुनौतियां रास्ते की बड़ी बाधाएं हैं। ऐसे में विकास को अधिक लचीला बनाने के लिए निजी निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार वृद्धि को मजबूत करने के लिए नीतियां अपनाने की जरूरत है।

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री फ़्रांज़िस्का ओहनसॉर्ग के कहना है कि दक्षिण एशिया अभी अपने जनसांख्यिकीय हिस्से का पूरा लाभ उठाने में विफल हो रहा है। यह एक गंवाया हुआ अवसर है। यदि इस क्षेत्र में अन्य उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरह कामकाजी उम्र की आबादी का बड़ा हिस्सा काम करता है तो इसका उत्पादन 16% अधिक हो सकता है।

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