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कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के भारतीय मूल के प्रोफेसरों ने इसलिए अपील दायर की है

HAF का कहना है कि यह अपील न केवल प्रोफेसर सुनील कुमार और प्रवीण सिन्हा, बल्कि सभी हिंदू फैकल्टी के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। सीएसयू की गैर-भेदभाव नीति में 'जाति' को जानबूझकर हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए जोड़ा गया है।

कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी (CSU) में 'जाति' को प्रोटेक्टेड कैटेगरी जोड़ दिया गया है। इसका विरोध हो रहा है। / CSU

अमेरिका में 'जाति' का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। गाहे-बगाहे इसे अलग-अलग तरीके से सामने लाया जा रहा है। ताजा मामला अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी (CSU) का है। जहां गैर-भेदभाव नीति में 'जाति' को प्रोटेक्टेड कैटेगरी जोड़ दिया गया है। स्वाभाविक है कि भारतीय मूल के लोग इसे विभाजनकारी मानते हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।

CSU के भारतीय मूल के दो प्रोफेसर सुनील कुमार और प्रवीण सिन्हा ने CSU के खिलाफ संघीय अदालत में अपील दायर की है। उनका कहना है कि वे यूनिवर्सिटी की गैर-भेदभाव नीति में 'जाति' को प्रोटेक्टेड कैटेगरी जोड़ने का विरोध करते हैं। उन्होंने दावा किया कि यह भारतीय मूल और हिंदू छात्रों और कर्मचारियों को गलत तरीके से अलग करता है। दरअसल, इसका विरोध करने वाले भारतीय-अमेरिकियों को डर है कि इससे अमेरिका में 'हिंदूफोबिया' के कारण होने वाली घटनाएं बढ़ेंगी।

भारतीय मूल के दो प्रोफेसर की ओर से दायर की गई अपील का मकसद जिला अदालत के फैसले को उलटना है, जिसने प्रोफेसरों के दावों को खारिज कर दिया। पिछले नवंबर में सीएसयू के पक्ष में फैसला सुनाया। उनकी ओर से जारी बयान के अनुसार, यह अपील इन मुख्य कारणों पर आधारित है। पहला, उनकी दलील है कि जिला अदालत ने जाति को परिभाषित करने में सीएसयू की विफलता के कारण प्रोफेसरों के संवैधानिक नुकसान का हवाला देते हुए उचित प्रक्रिया के दावों को अनुचित तरीके से खारिज कर दिया।

दूसरी बात यह है कि यह एस्टेब्लिशमेंट खंड के दावों को खारिज करने का भी विरोध करता है। वह इसलिए कि इसमें महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की गई थी। यह तय करने में कानून का गलत उपयोग किया गया था कि क्या नीति ने जाति व्यवस्था को शामिल करने के लिए हिंदू धर्म को परिभाषित किया है। इसके अलावा दलील यह है कि यह नीति प्रोफेसरों की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करती है और धार्मिक सिद्धांत को परिभाषित करती है।

HAF का कहना है कि यह अपील न केवल प्रोफेसर सुनील कुमार और प्रवीण सिन्हा, बल्कि सभी हिंदू फैकल्टी के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। HAF के प्रबंध निदेशक समीर कालरा का कहना है कि रेकॉर्ड स्पष्ट है, सीएसयू की गैर-भेदभाव नीति में 'जाति' को जानबूझकर हिंदुओं को निशाना बनाने और संवैधानिक रूप से अनुचित तरीके से हिंदू धर्म को परिभाषित करने के अलावा किसी अन्य कारण से जोड़ा गया है।

कालरा ने कहा कि इसलिए यह अपील न केवल प्रोफेसर सुनील कुमार और प्रवीण सिन्हा बल्कि पूरे कैलिफोर्निया में सीएसयू परिसरों में सभी हिंदू शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। दरअसल, अमेरिका में जातिगत पूर्वाग्रह दुर्लभ है। यह इतना व्यापक नहीं जितना बताया जाता है। इसके नाम पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत को हवा देने की आशंका है। यही कारण है कि अमेरिका का हिंदू समाज इसका विरोध करता है।

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