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ग्रामीण भारत की बदलेगी तस्वीर, WHEELS फाउंडेशन ऐसे करेगा सहयोग

आईआईटी के पांच लाख से अधिक पूर्व छात्रों के सामाजिक प्रभाव मंच व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने अपने इम्पैक्ट कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म के जरिए विचारों को धरातल पर उतारने के लिए पहल की है।

व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन और भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान के संयुक्त सहयोग के लिए आईआईटी दिल्ली में पहल की गई। / Image provided

2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास कर रहे भारत को अपने इस सपने को साकार करने के लिए एक अहम कदम उठाना होगा। ये कदम है, अपने ग्रामीण एवं अविकसित क्षेत्रों की उन्नति के उपाय करना। इनकी अहमियत इसी से आंकी जा सकती है कि भारत का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा इन्हीं का है। 

इस सामाजिक-आर्थिक प्रगति को संभव बनाने के लिए पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, आजीविका और पर्यावरण जैसे मुद्दों से निपटना होगा। इनकी लगभग 80 करोड़ की विशाल आबादी और जटिल चुनौतियों को देखते हुए इस कार्य को संभव बनाने के लिए तकनीक, अभिनव मॉडल्स और समन्वित कार्यान्वयन रणनीतियों का व्यापक इस्तेमाल करना जरूरी होगा। 

भारत सरकार ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया है और इंजीनियरिंग व अनुसंधान संस्थानों के एक नेटवर्क के सहयोग से इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। इनमें आईआईटीज में ग्रामीण विकास केंद्र स्थापित करना, सीएसआईआर, आईसीएमआर जैसे संस्थानों, उन्नत भारत अभियान (यूबीए) और सात आईआईटी में रूरल टेक्नोलोजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) जैसे प्लेटफार्मों की स्थापना की पहल शुरू कर दी हैं। 

ये प्रयास हालांकि तकनीक सक्षम समाधान प्रदान करने की उम्मीद दिखाते हैं, लेकिन इसकी कामयाबी के लिए धरातल पर अभी काफी काम करना बाकी है। इसके बिना अक्सर कई बार अच्छे इनोवेटिव अकादमिक आइडिया चारदीवारों के अंदर ही सिमटकर रह जाते हैं। ऐसे किसी भी प्रयास के लिए प्रगति की व्यवस्थित रूपरेखा बनाने की आवश्यकता होती है। इसमें विशेषज्ञों की मदद से अवधारणा तैयार करने से लेकर पायलट प्रोजेक्ट और फिर बड़े पैमाने पर लागू करना तक शामिल होता है। ये काम अक्सर शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के डोमेन में नहीं रहता। यही वजह है कि इन प्रमुख संस्थानों और कार्यक्रमों के अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति में संरचनात्मक अंतर उसकी राह में बाधा बन जाता है। 

आईआईटी के पांच लाख से अधिक पूर्व छात्रों के सामाजिक प्रभाव मंच व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने अपने इम्पैक्ट कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म (आईसीपी) के जरिए इसी अंतर को पाटने के लिए प्रयास शुरू किया है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम यूबीए और विज्ञान भारती (विभा) के साथ साझेदारी में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में तेजी से परिवर्तन एवं विकास के लिए एक प्रभावी सहयोग मंच तैयार करना है। 

यूबीए के तहत लगभग 3800 उच्च शिक्षा संस्थान नए विचारों और समाधानों पर काम कर रहे हैं। यूबीए पंजीकृत संस्थान अपनी जरूरतों, समस्याओं और आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए गांवों को चुनकर दौरा करते हैं। उसके बाद अनुसंधान, प्रयोगशालाओं, संकाय, छात्रों, धन के यूबीए इकोसिस्टम के जरिए वहां की समस्याओं से निपटने का प्रस्ताव पेश करते हैं। 

अखिल भारतीय स्तर पर स्वदेशी विज्ञान आंदोलन के माध्यम से शुरू की गई गैर-लाभकारी संस्था विभा युवाओं को राष्ट्र निर्माण और वंचितों की सामाजिक-आर्थिक उन्नति के लिए प्रेरित कर रही है। व्हील्स अपने सहयोगी एनजीओ और आईआईटी के पूर्व छात्रों के विशाल नेटवर्क के जरिए परिपक्वता एवं स्केलिंग सुविधा प्रदान करता है। इससे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक विचार से विकास तक तैयार करने में मदद मिल सकती है।

इम्पैक्ट कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म एनजीओ व सामाजिक प्रभाव संगठनों जैसे अनुसंधान संस्थानों और क्षेत्रीय संस्थाओं की मदद से अहम चुनौतियों के किफायती समाधान के लिए पुल का काम करता है। विचार से विकास तक तेजी से प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी, व्यवसाय, संचालन एवं दक्षता की आवश्यकता होती है। मंच पांच सामाजिक स्तंभों को एकजुट करता है- (1) प्रमुख अनुसंधान संस्थान, (2) परिचालन विशेषज्ञता वाले व्यावसायिक पेशेवर, (3) तैनाती क्षमता के साथ क्षेत्रीय संसाधन, (4) वित्तीय संसाधन (फाउंडेशन, सीएसआर, सरकारी निकाय) और (5) नीति समर्थन।

इसके अलावा समस्या के समाधान के लिए सैकड़ों विचारों को अमल में लाने के लिए जरूरत के मुताबिक उपाय किए जाते हैं। इस तरह एक सफल समाधान सामने आता है और बाकी सभी के लिए एक उदाहरण बन जाता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य 50% से अधिक ग्रामीण एवं वंचित आबादी के जीवन को संवारना और संस्थागत अनुसंधान एवं विकास की मदद से निवेश पर लाभ (आरओआई) में पर्याप्त वृद्धि हासिल करना है।

व्हील्स इन प्रयासों को साकार करने वाले आईटी सिस्टम तैयार करने के लिए टेक4सेवा के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस प्लेटफॉर्म के छह महीने के अंदर शुरू होने की उम्मीद है। इससे मौजूदा यूबीए द्वारा संचालित ईआरपी पोर्टल का विस्तार होगा, जो न केवल डेवलपमेंट कोलैबरेशन में मदद करेगा बल्कि डेप्लॉयमेंट कोलैबरेशन भी सुनिश्चित करेगा। इन डेप्लॉयमेंट कोलैबरेशन गतिविधियों में गैर सरकारी संगठनों, सीएसआर पहलों, फाउंडेशन और सपोर्ट सर्विस प्रोवाइडर्स की भागीदारी भी होगी। 

एक क्यूरेटेड सॉल्यूशन रिपॉजिटरी तैयार होगी जिसमें आवश्यक विवरणों से लैस समाधान शामिल होंगे। डेप्लॉयमेंट और स्केलिंग के दौरान आने वाली व्यावसायिक और तकनीकी चुनौतियों के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक सपोर्टिव बेंच मौजूद रहेगी। इससे दर्जनों समाधानों पर अमल सुनिश्चित हो सकेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बदलाव आएगा। 

इस तरह आईसीपी भारत के मौजूदा सामाजिक प्रभाव इकोसिस्टम में दो प्रमुख संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करेगा। पहली, पहले से तैयार मनमोहक अभिनव समाधानों को बढ़ाएगा और सीमित भौगोलिक पहुंच से आगे ले जाएगा। दूसरे, विचार से विकास तक के सफर का रास्ता साफ करके आकर्षक इनोवेटिव आइडियाज को अकैडमिक चारदीवारी से तेजी से आगे ले जाकर समय पर ग्रामीणों को लाभ सुनिश्चित करेगा। 

WHEELS पूर्व छात्रों एवं इकोसिस्टम कैपेसिटी जैसे कि कॉर्पोरेशन लीडर्स, सीएसआर, केंद्र व राज्य सरकारों में आईएएस अधिकारी, एनजीओ, काउंसिल, चैप्टर्स आदि की मदद से जागरूकता लाएगा। इन कार्यक्रमों को लागू करके हमारा उद्देश्य 2030 तक भारत की 20% रुर्बन आबादी का तकनीकी परिवर्तन के उद्देश्य को हासिल करना है और 2047 तक भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करना है। 

(लेखिका व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन की मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस मैनेजर हैं)

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