अमेरिका के मिशिगन में डेमोक्रेटिक प्राइमरी के परिणाम डेमोक्रेट्स के लिए 'गाजा पॉलिसी पर यथास्थिति से तोड़ने' के लिए एक 'वेक-अप कॉल' है। यह कहना है अमेरिकी प्रतिनिधि रो खन्ना का। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद ने कहा कि बाइडन प्रशासन को स्थायी संघर्ष विराम बातचीत पर जोर देने की जरूरत है।
चार बार के कैलिफोर्निया कांग्रेस सदस्य ने बड़ी अरब अमेरिकी आबादी के साथ मिलने के लिए 27 फरवरी को हुए प्राइमरी से पहले महत्वपूर्ण स्विंग राज्य का दौरा किया। विश्व जनसंख्या समीक्षा का अनुमान है कि मिशिगन में अरब अमेरिकियों की तादाद अच्छी खासी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खन्ना की चिंता ये है कि इस बार अगर ये मुस्लिम बाइडेन को अपना समर्थन नहीं देते हैं तो डेमोक्रेट्स आसानी से ये अहम स्विंग स्टेट्स गंवा देंगे।
हालांकि राष्ट्रपति बाइडन ने 80 प्रतिशत से अधिक वोट के साथ डेमोक्रेटिक प्राइमरी में आसानी से जीत हासिल की है, लेकिन विरोध अभियानों ने जीत पर पानी फेर दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिशिगन के 100,000 से अधिक मतदाताओं (लगभग 13 प्रतिशत) ने गाजा में बाइडन के युद्ध से निपटने को लेकर विरोध अभियान के बीच 'अनकमिटेड' वोटिंग की। मतलब किसी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान नहीं किया। इनमें अरब अमेरिकी और युवा मतदाता शामिल हैं, जिन्होंने 2020 में बाइडन के मिशिगन जीत में अहम रोल निभाया था।
ये 'अनकमिटेड' वोट लगभग पांच गुना विरोध वोट है जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2012 में राज्य में देखा था, जब 10 प्रतिशत डेमोक्रेट ने उनके उम्मीदवार चुनने के खिलाफ वोटिंग की थी। डियरबॉर्न जैसे शहरों यह ट्रेंड ज्यादा देखने को मिला। मेयर अब्दुल्ला हम्मूद ने एक बयान में बताया कि हर व्यक्ति जिसने आज 'अनकमिटेड' मतदान किया, उसे व्यक्तिगत रूप से इजरायल हमास मामले में राष्ट्रपति बाइडन के खिलाफ बोलने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया था।
दरअसल, इजरायल-हमास युद्ध पर राष्ट्रपति बाइडेन की प्रतिक्रिया ने उस राज्यों में गुस्सा पैदा कर दिया है जिन्होंने उन्हें 2020 में जीत दिलाने में मदद की थी। मिशिगन वो राज्य है जिसे 2016 में महज 10,000 वोटों के अंतर से डोनाल्ड ट्रंप ने जीता था।
गाजा पर इजरायल की बमबारी के बाद मिशिगन जैसे राज्यों में अब अरब-अमेरिकी और मुस्लिम मतदाता ये दावा कर रहे हैं कि वे इस बार होने वाले चुनाव में मतदान से दूर रहेंगे। वे किसी भी कीमत पर बाइडेन को अपना समर्थन नहीं देंगे। यूं तो अरब-अमेरिकी मुसलमान अमेरिकी आबादी का बहुत छोटा सा हिस्सा हैं, मगर मिशिगन जैसे राज्यों में उनकी आबादी बहुत मायने रखती है।
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