अमेरिकी सरकार में भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की अपील के बाद अब कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने कहा है कि अब समय आ गया है कि भारतवंशी अमेरिका में सरकार के सभी स्तरों पर चुनाव में हिस्सा लें।
Desis Decide समिट में मौजूद लोगों से अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल करने की अपील करते हुए राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि हम पूरे दिन राजनीति की बातें कर सकते हैं, लेकिन राजनीति करना असल मायने रखता है। याद रखें, राजनीति सिर्फ एक संज्ञा नहीं है, यह एक क्रिया है। हमें इस साल राजनीति के अखाडे़ में उतरना है। हमें मतदान करना है।
राजा ने कहा कि दूसरी बात ये कि हमें बड़े राजनीतिक मुद्दों पर काम करना होगा। हमें स्थानीय मंदिरों का सपोर्ट करना होगा। हमें स्थानीय मस्जिदों का सपोर्ट करना होगा। हमें अपनी स्थानीय गैर-लाभकारी संस्थाओं का सपोर्ट करना होगा। मुझे उम्मीद है कि आप लोग ऐसा करेंगे और उदारता दिखाएंगे। लेकिन इसके सबके साथ हमें अपने से बड़े राजनीतिक मुद्दों पर भी काम करना होगा।
कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने सभी राजनीतिक दलों से संबंध रखने वाले भारतीयों से चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चाहे आप डेमोक्रेट हो, रिपब्लिकन हो, या फिर निर्दलीय हों, यह मायने नहीं रखता है। असल बात ये है कि आपको देश के सिविक अफेयर्स का हिस्सा बनने की जरूरत है। अब समय आ गया है कि आप लोग ऐसा करें।
राजा ने कहा कि मेरा तीसरा और अंतिम पॉइंट ये है कि यह चुनाव में उतरने और चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनने का समय है। यह सभी स्तरों पर चुनाव लड़ने का समय है। गौरतलब है कि इससे पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी इसी समिट में भारतीयों से अधिक से अधिक चुनाव लड़ने का आह्वान किया था।
कमला हैरिस ने हाल ही में कहा था कि अगले छह महीने में चुनाव होने हैं। ये हम सभी के सामने एक सवाल पेश कर रहा है। सवाल ये कि हम किस तरह की दुनिया में रहना चाहते हैं, किस तरह के देश में रहना चाहते हैं। इस सवाल का जवाब देने का एक तरीका यह है कि हम चुनाव लड़ें और सरकार में पदों पर जाकर बैठें। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि इन चुनावों के नतीजे बहुत मायने रखते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि कृष्णमूर्ति के राज्य इलिनोइस को हाल ही में अमेरिकियों के समग्र प्रतिनिधित्व के मामले में वॉलेटहब की डेटा विश्लेषण रिपोर्ट में सबसे प्रभावी 'अमेरिकी राज्य' नामित किया गया था। वॉलेटहब ने हर राज्य में जाति, धर्म, आय, शिक्षा, कार्य, लिंग, आयु और सामाजिक मुद्दों जैसे पहलुओं पर विचार करके ये रिपोर्ट तैयार की थी।
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