कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने 2 अप्रैल को 'अफगानिस्तान में आतंकवादी समूह' शीर्षक से अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान में इस्लामी आतंकवाद के लगातार और बहुमुखी खतरे को रेखांकित किया गया है। क्षेत्र के सुरक्षा परिदृश्य की जटिल स्थिति की जांच करते हुए रिपोर्ट हालिया भू-राजनीतिक बदलावों के बावजूद इस्लामिक स्टेट-खोरासान प्रांत (ISKP) और अल कायदा जैसे समूहों की निरंतर सक्रियता पर जोर देती है।
CRS रिपोर्ट में प्रस्तुत निष्कर्षों के अनुसार इस्लामिक स्टेट का अफगानिस्तान स्थित सहयोगी ISKP अफगानिस्तान के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक भयानक खतरा बना हुआ है। हाल के वर्षों में अमेरिकी और अफगान बलों के महत्वपूर्ण सैन्य दबाव का सामना करने के बावजूद ISKP ने न केवल अफगानिस्तान के भीतर बल्कि रूस तक में हाल की घटना सहित कई अन्य देशों में भी हमलों को अंजाम देकर अपना लचीलापन (पहुंच) प्रदर्शित किया है। अपनी सीमाओं से परे जाकर वारदातों को अंजाम देने की समूह की क्षमता
चरमपंथी विचारधाराओं से निपटने में जटिल चुनौतियों को रेखांकित करती है।
CRS की रिपोर्ट अफगानिस्तान में अल कायदा (AQ ) की स्थायी गतिविधियों का भी खुलासा करती है। तालिबान द्वारा अपनी उपस्थिति को कम दर्शाने के प्रयासों के बावजूद समूह ने इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखा है। AQ नेता अयमान अल जवाहिरी की हालिया हत्या ने तालिबान और अल कायदा के बीच संबंधों में जटिलताएं बढ़ा दी हैं। इससे अफगानिस्तान और उसके बाहर समूह के संचालन के भविष्य के रास्तों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
रिपोर्ट के अंत में कहा गया है कि उपरोक्त सभी समूह नामित विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करेंगे। कांग्रेस अफगानिस्तान में आतंकवाद से संबंधित अतिरिक्त प्रतिबंध उपायों पर विचार कर सकती है और मौजूदा प्रतिबंध अधिकारियों के प्रशासन के आवेदन की जांच कर सकती है।
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