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सियोल में जयशंकर ने इसलिए कहा, अपने देश से बाहर रहना हमेशा आसान नहीं होता

जयशंकर ने कहा कि अपने देश से बाहर रहना हमेशा आसान नहीं होता। जो लोग विदेश में रहते हैं वे जानते हैं कि उनके दिल और दिमाग का एक बड़ा हिस्सा हमेशा भारत में रहता है। देश से बाहर भी अप्रवासी भारतीय भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंध बनाए रखते हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को सियोल में भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात की। / @DrSJaishankar

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को सियोल पहुंचे। यहां उन्होंने दक्षिण कोरिया में रहने वाले भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात की। इस दौरान भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेशों में भारतीयों के बीच बढ़ते विश्वास पर रोशनी डाली। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार जरूरत के समय में उनके साथ खड़ी रहेगी और उनका सपोर्ट करेगी।

जयशंकर ने कहा कि अपने देश से बाहर रहना हमेशा आसान नहीं होता। जो लोग विदेश में रहते हैं वे जानते हैं कि उनके दिल और दिमाग का एक बड़ा हिस्सा हमेशा भारत में रहता है। आप देख सकते हैं कि कैसे एक भारतीय भारत के तटों को छोड़कर आत्मविश्वास के साथ रह रहा है। यह आत्मविश्वास पहले उनके पास नहीं था। लेकिन अब उन्हें यह विश्वास है कि जो भी हो उनके देश में एक ऐसी सरकार है जो उनकी देखभाल करेगी।

यह एक बहुत बड़ी भावना है। जब हम दुनिया की स्थिति पर नजर डालते हैं, तो वैश्विक अवसरों को देखते हुए अधिक से अधिक भारतीय इसका लाभ उठाएंगे। बता दें कि जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। जयशंकर ने अपने देश के बाहर रहने वाले लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि देश से बाहर भी अप्रवासी भारतीय भारत के साथ अपने भावनात्मक संबंध बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि अपने देश के बाहर रहना हमेशा आसान नहीं होता है ... जो लोग विदेश में रहते हैं वो ये भी जानते हैं कि कई मायनों में आपके दिल और दिमाग का एक बड़ा हिस्सा हमेशा भारत में ही होता है। आप सभी अलग-अलग तरीकों से देश की प्रगति में योगदान करते हैं।

इससे पहले कोरिया नेशनल डिप्लोमैटिक एकेडमी में 'व्यापक क्षितिज: भारत-प्रशांत में भारत-कोरिया साझेदारी' विषय पर आयोजित कार्यक्रम को विदेश मंत्री जयशंकर ने संबोधित किया। भारत-दक्षिण कोरिया के संबंधों पर चिंतन करते हुए उन्होंने दोनों देशों से 'अधिक अनिश्चित एवं अस्थिर दुनिया' में सहयोग के नए रास्ते तलाशने का आग्रह किया।

जयशंकर ने इस साझेदारी को 2015 से 'विशेष रणनीतिक साझेदारी' करार देते हुए सहयोग बढ़ाने के लिए आत्मनिरीक्षण और रणनीति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 और 2019 की दक्षिण कोरिया यात्राओं को याद किया और द्विपक्षीय व्यापार का जिक्र किया जो लगभग 25 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

जयशंकर ने दोनों देशों की कंपनियों द्वारा एक-दूसरे देशों में किए गए महत्वपूर्ण निवेश को रेखांकित करते हुए कहा कि व्यापार संबंधों का एक और पैमाना है। आज हमारे बीच यह लगभग 25 बिलियन डॉलर प्लस-माइनस स्तर के आसपास है। उन्होंने रक्षा सहयोग की सफल पहलों और एक-दूसरे के देशों में जीवंत भारतीय और दक्षिण कोरियाई समुदायों की उपस्थिति का भी उल्लेख किया।

संबंधों के राजनीतिक आयामों पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने लोकतंत्र, बाजार अर्थव्यवस्था और कानून के शासन के लिए प्रतिबद्धता के साझा मूल्यों की बात कही। उन्होंने पारस्परिक लाभ के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद और सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) प्रसार जैसी साझा चुनौतियों का सामना किया है।

अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर ने दक्षिण कोरियाई प्रधान मंत्री हान डक-सू, व्यापार-उद्योग और ऊर्जा मंत्री अहं डुकगेउन के साथ-साथ दक्षिण कोरियाई थिंक टैंकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कीं। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक चांग हो-जिन से मुलाकात की।

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