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अमेरिका में हिंदुओं के खिलाफ नफरती अपराध क्यों बढ़ रहे, HAF की निदेशक ने बताया

सुहाग शुक्ला ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में अधिकारी कर्मचारियों की कमी है और जो लोग हैं, उनमें से अधिकतर मीडिया में आने वाली नकारात्मक खबरों से निराश हो जाते हैं। उनमें स्थानीय डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को लेकर भी निराशा रहती है। 

सुहाग शुक्ला हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) की कार्यकारी निदेशक हैं। / Image - Snapshot

अमेरिका में हिंदूफोबिया पर कांग्रेस में आयोजित ब्रीफिंग में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने हिस्सा लेते हुए हिंदुओं के खिलाफ नफरती अपराधों में वृद्धि के कारणों पर प्रकाश डाला। इस ब्रीफिंग का आयोजन HinduACTion की तरफ से किया गया था। 

सुहाग शुक्ला ने अपनी बात पर जोर देने के लिए अमेरिका में मंदिरों और कॉलेज परिसरों में हाल ही में हुईं कई हिंदूविरोधी घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के मूल में जो तीन प्रमुख वजहें हैं, वो हैं फेडरल लॉ एन्फोर्समेंट सिस्टम के अंदर गंभीरता का अभाव, हालात की समझ न होना और पूर्वाग्रह से काम करना।

उन्होंने खालिस्तानी समर्थकों द्वारा अशांति फैलाए जाने की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चीजों की समझ नहीं है। वे इस नजरिए से काम करते हैं कि अगर अश्वेत लोगों का अश्वेत लोगों से विवाद होता है या फिर देसी लोग दूसरे देसी लोगों के खिलाफ अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं, तब उन्हें लगता है कि ये व्यक्तिगत, राजनीतिक या फिर ऐसा ही कुछ मामला होगा। 

उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में अधिकारी कर्मचारियों की कमी है और जो लोग हैं, उनमें से अधिकतर मीडिया में आने वाली नकारात्मक खबरों से निराश हो जाते हैं। उनमें स्थानीय डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को लेकर भी निराशा रहती है जो अपराधों के दोषियों का बचाव करते हैं। इससे उनमें उदासीनता की भावना पैदा हो जाती है। 

उन्होंने आगे कहा कि हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ नफरती अपराधों या पूर्वाग्रह की घटनाओं के बारे में चिंताओं को कभी-कभी तथाकथित अंतरराष्ट्रीय दमन जैसा समझ लिया जाता है। इससे उनका ध्यान हिंदू अमेरिकी लोगों और संस्थानों पर होने वाले हमलों से भटक जाता है। 

शुक्ला ने कहा कि अक्सर जब हम घृणा अपराधों या पूर्वाग्रह से जुड़ी घटनाओं के बारे में चिंता जताते हैं तब हिंदू अमेरिकी नागरिकों और संस्थानों पर हमलों की घटनाओं को स्वीकार करने और उनका समाधान खोजने के बजाय उन्हें कथित अंतरराष्ट्रीय दमन की प्रतिक्रिया समझ लिया जाता है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों को इस बारे में पर्याप्त जानकारी दी जाए ताकि वे हेट क्राइम की पहचान कर सकें। 

शुक्ला ने जोर देकर कहा कि देश में नागरिक अधिकार कानून ऐसे हैं जिनकी वजह से निर्णय में लंबा समय लगता है। कभी-कभी तो लोगों को इंसाफ पाने के लिए 10 से 20 साल तक इंतजार करना पड़ता है। 

उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि समुदाय के सदस्य ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करें, स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ संबंध बनाएं, उनसे मेलजोल बढ़ाएं, विश्वास और दोस्ती कायम करें। साथ ही समुदाय के पर्व त्योहारों में शामिल होने के लिए उन्हें बुलाएं ताकि भरोसा बन सके। 

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