अमेरिका में ईसाइयों की एक प्रमुख संस्था यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च (UMC) ने भारत में ईसाइयों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक निंदा प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से भारत को 'विशेष चिंता वाले देशों' की सूची में डालने का आग्रह किया गया है।
अमेरिका में प्रोटेस्टेंट्स के दूसरे सबसे बड़े संगठन यूएमसी की जनरल कॉन्फ्रेंस में इस प्रस्ताव को भारी मतों से पारित किया गया। प्रस्ताव के पक्ष में चर्च के प्रतिनिधियों ने काफी संख्या में मतदान किया। यूएमसी का दावा है कि उनके अमेरिका में 50 लाख और दुनिया भर में एक करोड़ से अधिक अनुयायी हैं। भारत में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार के लिहाज से इस प्रस्ताव को अहम माना जा रहा है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) के प्रेसिडेंट मोहम्मद जवाद ने कहा कि यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च में अपने भाइयों बहनों की नैतिक स्पष्टता और नजरिए की हम सराहना करते हैं। हिंदू राष्ट्रवादी हिंसा के खिलाफ उनका निर्णायक मत पूरी दुनिया को स्पष्ट संकेत देता है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कहीं पर भी हो, वह दुनिया के हर अल्पसंख्यक का अपमान है।
यूएमसी का ये प्रस्ताव भारत में कथित तौर पर ईसाइयों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों में बढ़ोतरी के आरोपों के बीच आया है। दिल्ली स्थित यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम का दावा है कि पिछले साल 2023 में ही ईसाइयों के खिलाफ 720 हमले हुए थे। वहीं, फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गनाइजेशन ने दावा किया था कि 2022 में ऐसे हमलों की 1198 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2021 की 761 घटनाओं से काफी अधिक हैं।
इस प्रस्ताव में खासतौर से मणिपुर में भारतीय ईसाइयों के कथित उत्पीड़न को रेखांकित किया गया है, जहां हिंसा के बीच सैकड़ों चर्चों को भीड़ द्वारा निशाना बनाने और आग लगाने के आरोप सामने आए हैं। भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव में अमेरिकी सरकार से कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
प्रस्ताव में उत्पीड़न की इन कथित घटनाओं के पीछे सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों का हाथ होने का आरोप लगाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय से कदम उठाने का आह्वान किया गया है। कहा गया है कि अमेरिकी सरकार को ऐसे व्यक्तियों की संपत्तियों को जब्त कर लेना चाहिए और अमेरिका में उनकी एंट्री बैन कर देनी चाहिए।
यूएमसी के रेवरेंड नील क्रिस्टी ने कहा कि यह प्रस्ताव यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के लिए धर्म को हथियार की तरह इस्तेमाल करने और सरकारी शह पर उत्पीड़न करने वालों के शिकार लोगों की मानवीय गरिमा और उनके मानवाधिकारों को रेखांकित करता है। नील क्रिस्टी फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन के कार्यकारी निदेशक भी हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से चर्च का कहना है कि जब लोगों को उनकी आस्था और पहचान की वजह से सताया जा रहा हो और राज्य प्रायोजित हिंसा में उन्हें खत्म करने की साजिश रची जा रही हो, तब हम चुपचाप खड़े नहीं रह सकते।
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