भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को चंद्रयान-3 मिशन के लिए प्रतिष्ठित 2024 के जॉन एल 'जैक' स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्पेस फाउंडेशन की तरफ से अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रतिवर्ष यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
ह्यूस्टन में भारत के महावाणिज्य दूत डीसी मंजूनाथ ने अंतरिक्ष संगोष्ठी में इसरो की तरफ से ये पुरस्कार स्वीकार किया। याद दिला दें कि चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर सफल उतरने वाला पहला देश और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।
जॉन एल 'जैक' स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार अंतरिक्ष में खोज को आगे बढ़ाने में कंपनियों, अंतरिक्ष एजेंसियों या कंसोर्टियम के उल्लेखनीय प्रयासों को मान्यता देता है। यह पुरस्कार अंतरिक्ष यात्री जॉन एल 'जैक' स्विगर्ट जूनियर के नाम पर है, जिन्होंने अपोलो 13 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसरो के चंद्रयान-3 को जॉन एल 'जैक' स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिलना ब्रह्मांड की खोज में भारत की बढ़ती ताकत और प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। चंद्रयान-3 मिशन अन्वेषण और इनोवेशन की भावना का प्रतीक है। यह अंतरिक्ष में खोज की सीमाओं का विस्तार करता है और वैज्ञानिक प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
स्पेस फाउंडेशन की सीईओ हीथर प्रिंगल ने जनवरी में एक बयान में कहा था कि अंतरिक्ष में भारत की नेतृत्वकारी क्षमता दुनिया के लिए एक प्रेरणास्रोत है। चंद्रयान-3 की टीम ने अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उसकी उल्लेखनीय मून लैंडिंग हम सभी के लिए एक मॉडल है।
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