बीते कुछ ही समय में अमेरिका में भारतीय मूल के करीब 15 छात्रों की रहस्यमयी हालात में मौत ने समुदाय के बीच भय और सनसनी पैदा कर दी है। एक तरफ इन घटनाओं से अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रहे छात्रों के बीच डर का माहौल है और दूसरी ओर भारत में उनके परिजन अत्यधिक बेचैन और चिंतित हैं। इन घटनाओं को लेकर समुदाय की ओर से शासन से लगातार अपनी स्थिति व्यक्त की जा रही है।
इसी बीच 'कास्टफाइल्स' में डेटा एनालिटिक्स टीम ने बढ़ती छात्र मौतों की परेशान करने वाली प्रवृत्ति पर ध्यान दिया है और हालात का विश्लेषण करके इसकी रिपोर्टिंग की है। मात्र तीन सप्ताह के भीतर, 15 जनवरी से 5 फरवरी के बीच. अमेरिका में भारतीय मूल के सात छात्रों की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।
सोशल मीडिया पोस्ट और पत्रों की एक श्रृंखला की शुरुआत करते हुए कास्टफाइल्स ने छात्रों की मृत्यु में खतरनाक वृद्धि के बारे में मीडिया आउटलेट्स, संबंधित माता-पिता और संबंधित अधिकारियों के बीच जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। कास्टफाइल्स के संदेश और प्रयासों की प्रतिध्वनि भारतीय मीडिया में भी दिखी जहां इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर तात्कालिकता का प्रदर्शन करते हुए अपना पेशेवर धर्म निभाया गया है।
अफसोस की बात यह है कि छात्रों की मौत का अशुभ दौर थमने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। इससे अमेरिका के भारतीय अमेरिकी समुदाय में चिंता की लकीरें गहरा गई हैं। ऐसे में डर इस बात का भी है कि अगर इन आपराधिक वारदातों पर जल्द से जल्द अंकुश न लगाया गया तो पठन-पाठन और शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने वाली अमेरिका की छवि धूमिल हो सकती है।
कास्टफाइल्स की संस्थापक ऋचा गौतम ने अपने अभियान के शुरुआती चरणों के दौरान सामने आई चुनौतियों को रेखांकित किया है। बकौल गौतम पेप्सिको की पूर्व अध्यक्ष और एक प्रमुख भारतीय अमेरिकी इंदिरा नूई के जोरदार समर्थन ने ठोस बदलाव लाने के हमारे संकल्प को मजबूत किया है।
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