सिएटल में खुले नए भारतीय वाणिज्य दूतावास ने मध्य वाशिंगटन के सेब उत्पादकों और श्रम तथा बंदरगाह अधिकारियों के साथ मिलकर सेब निर्यात में हुए भारी मुनाफे का जश्न मनाया। इस जश्न में भारत के महावाणिज्य दूत प्रकाश गुप्ता के साथ अमेरिकी सीनेटर मारिया केंटवेल (D-WA) भी शामिल हुईं। एक प्रतिशोधात्मक कदम के रूप में भारत ने अमेरिका के सेबों पर 20 प्रतिशत शुल्क घटा दिया था। उसके बाद इस सीजन में सेब का बड़े पैमाने पर निर्यात हुआ, जिसका जश्न मनाया गया।
सीएटल पोर्ट पर समारोह के दौरान सीनेटर कैंटवेल ने कहा कि सेब वॉशिंगटन की कृषि अर्थव्यवस्था का गौरव हैं। इन्हे दुनिया भर में पसंद किया जाता है। आज यह जश्न का अवसर इसलिए बना क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर इस बंदरगाह से भारत के लिए सेबों की खेप करीब 5 साल के बाद गई। इस लिहाज से आज का दिन भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों के लिए नया है। हम विमानन, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और विशेष रूप से कृषि सहित कई मोर्चों पर वाशिंगटन-भारत संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत ने वर्ष 2019 में अमेरिकी सेबों पर शुल्क घटा दिया था। इसकी वजह से वॉशिंगटन से भारत के लिए निर्यात होने वाले सेब का बाजार एकदम ठंडा पड़ गया था। शुल्क घटाने के फैसले को वापस कराने में सीनेटर मारिया एक मुखर आवाज रहीं। टैरिफ लगाए जाने से पहले वॉशिंगटन के उत्पादकों ने भारत को 120 मिलियन डॉलर मूल्य के सेब का निर्यात किया था और सबसे निचले बिंदु पर उत्पादकों ने 1 मिलियन डॉलर से भी कम का निर्यात किया था।
2023-24 सीजन के लिए टैरिफ में गिरावट का वॉशिंगटन के उत्पादकों ने तत्काल वित्तीय प्रभाव देखा है। वॉशिंगटन राज्य सेब आयोग के अनुसार वॉशिंगटन के उत्पादकों ने इस सीजन में लगभग 1,190,000 40 पौंड सेब की पेटियां भारत भेजी हैं। अब तक वॉशिंगटन से भारत में सेब की कुल बिक्री लगभग 19.5 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है और अभी निर्यात सीजन आधा ही बीता है।
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