कनाडा ने भारत से बिगड़े राजनयिक रिश्तों का ठीकरा भारतीय मीडिया के एक खास वर्ग पर फोड़ने की कोशिश की है। कनाडा के रैपिड रिस्पांस मैकेनिज्म (आरआरएम) नाम के संगठन को विदेशी सरकार प्रायोजित दुष्प्रचार की निगरानी का काम सौंपा गया था। उसने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत द्वारा कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को लक्षित करने वाला मीडिया कैंपेन चलाने का आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट में भारतीय मीडिया में कथित तौर पर ट्रूडो विरोधी कैंपेन चलाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि इसका उद्देश्य कनाडाई पीएम को अवसरवादी करार देना और सिख प्रवासियों का समर्थन हासिल करना है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएम ट्रूडो द्वारा सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारतीय एजेंटों पर आरोप लगाने के बाद से ही भारत सरकार समर्थित मीडिया में ट्रूडो विरोधी कई नैरेटिव फैलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं भारत में कनाडाई उच्चायुक्त, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों, पंजाबी सिख कनाडाई प्रवासियों और निज्जर समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारतीय मीडिया कनाडा की नकारात्मक छवि पेश करके अपने आंतरिक मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। वे अक्सर कनाडा को जी7 में अलग-थलग बताते हैं। पीएम मोदी के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स ट्रूडो से 14 गुना बताते हैं।
इसी तरह के मुद्दे उठाकर वे कनाडा के नेगेटिव फ्रेम में दिखाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मीडिया आउटलेट्स की संख्या कनाडा के मुकाबले कई गुना है, इसकी वजह से ये ज्यादा लोगों तक पहुंचने में कामयाब हो रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा में रहने वाले पंजाबी सिख प्रवासियों और भारत स्थित कनाडाई राजनयिकों का अक्सर नकारात्मक चित्रण किया जाता है। आरोप लगाए जाते हैं कि ट्रूडो और कनाडाई नेता कथित खालिस्तानी चरमपंथियों और आतंकियों के इशारों पर नाच रहे हैं।
ट्रूडो के अलावा कनाडाई सिख नेताओं जैसे कि एनडीपी के नेता जगमीत सिंह को खालिस्तान समर्थक करार दिया जाता है। यहां तक आरोप लगाया जाता है कि पाकिस्तान की आईएसआई खालिस्तानी एजेंडा को फंडिंग कर रही है।
कनाडा और भारत के बीच बढ़ती राजनयिक दरार के बीच आरआरएम रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यह नजरिया कनाडा की विदेश नीति को काफी प्रभावित कर सकता है। कनाडा को विदेशी दुष्प्रचार से सतर्क रहने की जरूरत है।
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