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कनाडा में नागरिकता कानून में बदलाव से प्रवासी भारतीयों को इस तरह से होगा फायदा

नया बिल सी-71 इस पाबंदी को खत्म करना चाहता है। नए कानून के तहत, जिन लोगों का जन्म 2009 से पहले कनाडा के बाहर हुआ था। और जिनके माता-पिता भी विदेश में पैदा हुए थे, उन्हें कनाडाई नागरिकता मिल जाएगी।

23 मई को इमिग्रशन मंत्री मार्क मिलर ने बिल सी-71 पेश किया। / @JaimieHarmsen

कनाडा अपने नागरिकता द्वारा वंश के कानूनों का विस्तार करने जा रहा है। इससे कई प्रवासी समुदायों खासकर प्रवासी भारतीयों को फायदा हो सकता है। 23 मई को इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने बिल सी-71 पेश किया। इसका मकसद नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके पहली पीढ़ी से परे वंश द्वारा नागरिकता का विस्तार करना है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार 2009 से विदेश में जन्मे कनाडाई लोगों के बच्चों को नागरिकता प्रदान की जाएगी।

2009 में नागरिकता अधिनियम में 'पहली पीढ़ी सीमा' को शामिल किया गया था। इसका मतलब था कि कनाडाई माता-पिता के बच्चों को, जो या तो कनाडा में पैदा हुए थे या जिनका जन्म से पहले ही कनाडा में नागरिकता प्राप्त हो चुकी थी, केवल उन्हीं को नागरिकता मिल सकती थी। इस वजह से कनाडा के नागरिकों के विदेश में पैदा हुए बच्चे अपनी नागरिकता विरासत में नहीं ले पाते थे।

नया बिल सी-71 इस पाबंदी को खत्म करना चाहता है। नए कानून के तहत, जिन लोगों का जन्म 2009 से पहले कनाडा के बाहर हुआ था। और जिनके माता-पिता भी विदेश में पैदा हुए थे, उन्हें कनाडाई नागरिकता मिल जाएगी। हालांकि, बिल कनाडा से मजबूत संबंध दिखाने के लिए कुछ खास शर्तें रखता है। जिन कनाडाई माता-पिता के बच्चे विदेश में पैदा हुए हैं, उन्हें जन्म के समय नागरिकता मिल सकती है। शर्त यह है कि अगर माता-पिता बच्चे के जन्म से पहले कम से कम तीन साल कनाडा में रहने का सबूत दे सकें।

इसके अलावा, यह कानून कनाडाई माता-पिता द्वारा विदेश में गोद लिए गए बच्चों की नागरिकता पर भी ध्यान देता है। नए कानून लागू होने से पहले गोद लिए गए बच्चे नागरिकता के हकदार होंगे, भले ही पहले उन्हें पहली पीढ़ी की सीमा के कारण नागरिकता नहीं मिली थी। नए कानून लागू होने के बाद गोद लिए गए बच्चों को कनाडा से मजबूत संबंध साबित करने के लिए अपने कनाडाई माता-पिता को सबूत देना होगा जिससे उन्हें नागरिकता मिल सके। इस बदलाव का मकसद 'खोए हुए कनाडाई' को शामिल करना है। वे लोग जिन्होंने पुराने कानूनों के कारण अपनी नागरिकता खो दी थी या उन्हें कभी नहीं मिल पाई।

इन बदलावों से प्रवासी भारतीय को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है। लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि कनाडाई नागरिकता चुनने वाले भारतीयों को अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी होगी। इसकी वजह ये है कि भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है।

मंत्री मिलर ने नए कानून में शामिल सभी लोगों के लिए समानता और उसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्तावित कानून पहली पीढ़ी से आगे वंश द्वारा नागरिकता का विस्तार करेगा, जिससे सभी को शामिल किया जा सके और हमारी नागरिकता के मूल्य को बढ़ावा मिले।

बिल सी-71 पहले के कानून बनाने के प्रयासों पर आधारित है, जिसमें बिल एस-245 भी शामिल है। यह संसदीय समितियों और अदालतों में उठाये गए मुद्दों को हल करता है। यह वंश द्वारा कनाडाई नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को बहाल करने और स्पष्ट करने का एक व्यापक तरीका है।इससे बहुत से लोगों को अपनी नागरिकता वापस मिल सकती है जो पहले के नियमों के तहत इसे खो चुके हैं।

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