कनाडा सरकार की तरफ से विदेशी छात्रों संबंधी नियमों में किए गए हालिया बदलाव की वजह से बहुत से भारतीय छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अब ये छात्र कनाडा में उच्च शिक्षा हासिल करने की अपनी योजनाओं पर फिर से विचार करने को विवश हैं।
आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के आंकड़े बताते हैं कि 2023 की पहली छमाही में कनाडा में 4,34,899 नए विदेशी छात्र आए थे। इनमें से 40 प्रतिशत से अधिक भारत से थे। लेकिन 2024 में इसमें काफी गिरावट आने के आसार हैं।
गौरतलब है कि कनाडा सरकार ने 2023 की तुलना में 2024 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अधिकृत स्टडी परमिट की संख्या 35 प्रतिशत घटाने की घोषणा की है। इसके अलावा गारंटीड इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट (जीआईसी) राशि को दोगुना करने, स्नातक छात्रों के जीवनसाथियों के लिए ओपन वर्क परमिट खत्म करने और पब्लिक प्राइवेट भागीदारी वाले संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट को समाप्त करने जैसे फैसले किए हैं।
इसकी वजह कनाडा में गहराता आवास संकट, आगामी चुनावी राजनीति और भारत के साथ बिगड़ते राजनयिक संबंधों को माना जा रहा है। नियमों में इस बदलाव की वजह से विदेशी छात्रों खासकर भारतीय छात्रों के लिए कनाडा में पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी।
कनाडा सरकार के इस फैसले से भारत खासकर पंजाब में रहने वाले छात्रों की उम्मीदों पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। उन्हें अपनी योजनाओं पर फिर से विचार करना पड़ रहा है। इसके अलावा जो छात्र उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जा चुके हैं और अपने जीवनसाथी के वहां आने का इंतजार कर रहे थे, उनमें भी निराशा छा गई है।
स्थानीय वीजा एजेंटों के पास पूछताछ करने वालों की संख्या बढ़ गई है। उनका कहना है कि कनाडा ही नहीं यूके ने भी अपने आव्रजन नियमों को कड़ा कर दिया है। इसकी वजह से अब अमेरिका में पढ़ाई की संभावना तलाशने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
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