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कनाडा का अप्रवासियों में भारी कटौती का ऐलान, कर्मचारियों और छोटे कारोबारियों में चिंता

कनाडा ने घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर और आवास संबंधी चुनौतियों के समाधान के नाम पर प्रवासियों पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है।

कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने अप्रवासियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। / X @JustinTrudeau

कनाडा की नई इमिग्रेशन पॉलिसी भारत समेत अन्य देशों के नागरिकों को बड़ा झटका देने वाली है। इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर द्वारा 24 अक्टूबर को घोषित नई आव्रजन रणनीति कम स्किल वाले भारतीय कर्मचारियों, छात्रों के अलावा स्थायी नागरिकता का सपना देख रहे बहुत से प्रवासियों को निराश करने वाली है। 

कनाडा ने घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर और आवास संबंधी चुनौतियों के समाधान के नाम पर प्रवासियों पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है। इसके तहत 2025 तक करीब 395,000 स्थायी निवासियों को ही स्वीकार किया जाएगा। यह इस साल अपेक्षित 485,000 नागरिकों से लगभग 20 प्रतिशत कम है।

अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विदेशी कामगारों सहित अस्थायी आप्रवासियों में भी कटौती की जाएगी। 2025 और 2026 में इनकी संख्या घटाकर लगभग 446,000 की जाएगी, जो इस साल के लगभग 800,000 से काफी कम है। 2027 तक कनाडा सिर्फ 17,400 नए गैर-स्थायी निवासियों को ही अनुमति देगा।

इन उपायों से कनाडा को अगले दो साल के अंदर अपनी जनसंख्या में अनुमानित 0.2 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है। यह इस वर्ष की दूसरी तिमाही में 3 प्रतिशत की ग्रोथ के बिल्कुल उलट होगी। अगर ऐसा होता है तो यह 1950 के बाद कनाडा की जनसंख्या वृद्धि में सबसे बड़ी कटौती होगी। 

भारतीय कामगारों पर असर 

कनाडा के इमिग्रेशन एनालिस्ट दर्शन महाराजा आगाह करते हैं कि इन बदलावों का भारतीयों पर सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ेगा जिनका कनाडा की आप्रवासी आबादी में बड़ा हिस्सा है। कनाडा में पहले से रह रहे अस्थायी कामगार स्थायी निवास की पात्रता हासिल करने के योग्य हैं। हालांकि सरकार अब अत्यधिक कुशल कामगारों को बसाने पर जोर दे रही है। इसकी वजह से कम कुशल कामगारों पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। सबसे ज्यादा असर कम स्किल्ड जॉब्स वाले वर्कर्स पर पड़ेगा। उन्हें भारत वापस लौटनापड़ सकता है।

छोटे व्यवसायों में चिंता

नई नीति ने छोटे कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है। कैनेडियन फेडरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट बिजनेस (सीएफआईबी) के प्रेसिडेंट डैन केली का कहना है कि लेबर मार्केट की जरूरतों को देखते हुए इमिग्रेशन स्तर को समायोजित करने की जरूरत है। विदेशी श्रमिकों पर निर्भर छोटे व्यवसायियों को पहले से ही वेतन, अच्छे कर्मचारियों को खोने जैसी समस्याओं से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि एक रेस्तरां मालिक जिसे कुक नहीं मिल रहा है, उसे अपना कारोबार बचाने के लिए अब ज्यादा संघर्ष करना होगा। देखना होगा कि इस नई इमिग्रेशन नीति का और क्या असर पड़ेगा।

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