कैलिफोर्निया में सिखों पर पूर्वाग्रह से प्रेरित हमलों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा द्वारा जारी 2023 वार्षिक घृणा अपराध रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। वर्ष 2023 में कैलिफ़ोर्निया में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कुल 1,970 घृणा अपराध दर्ज किए गए। यह आंकड़ा 2022 से कम है, जिसमें 2,120 पूर्वाग्रह ग्रसित हमले दर्ज किए गए थे। वर्ष 2021 में पूरे राज्य में 2,180 घृणा अपराध दर्ज किए गए।
वर्ष 2023 में सिखों पर हमले की 5 वारदातें हुईं जबकि 2022 में 4 हमले दर्ज किए गए थे। 2021 में राज्य की स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सिखों के खिलाफ पूर्वाग्रह-संबंधी किसी हमले की सूचना नहीं दी गई। ये एजेंसियां घटना की रिपोर्ट एकत्र करती हैं और निर्धारित करती हैं कि उन्हें अभियोजकों को भेजा जाए या नहीं।
दूसरी ओर, कैलिफ़ोर्निया में मुस्लिम अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है जो पिछले वर्ष 25 से बढ़कर 2023 में 40 हो गई है। इस राज्य में मुस्लिम समुदाय धर्म से प्रेरित पूर्वाग्रह के लिए दूसरी सबसे अधिक लक्षित जातीयता हैं।
यह रिपोर्ट हिंदू, जैन या बौद्ध पीड़ितों से जुड़े घृणा अपराध आंकड़ों को अलग नहीं करती बल्कि उन्हें 'एशियाई विरोधी' श्रेणी में रखती है। यह एफबीआई घृणा अपराध संग्रह विधियों से अलग है जिसने वार्षिक यूनिफ़ॉर्म क्राइम रिपोर्ट के लिए 2015 से इन समुदायों के खिलाफ हमलों को एकत्र करने का काम किया है।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन में नीति और कार्यक्रम के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि कैलिफोर्निया के लिए संघीय मानकों के अनुरूप हिंदुओं के खिलाफ घृणा अपराधों पर नज़र रखना अनिवार्य है। कैलिफ़ोर्निया अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को अपनी घृणा अपराध श्रेणियों की सूची में एक हिंदू विरोधी घृणा अपराध श्रेणी जोड़नी चाहिए जिस तरह से वह राज्य में अन्य कमजोर समुदायों को सूचीबद्ध करता है।
कालरा ने कहा कि फाउंडेशन में हमें कैलिफोर्निया में हिंदुओं को निशाना बनाकर मुख्य रूप से खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा किए गए घृणा अपराधों की रिपोर्ट मिली है। हम अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
सिख अमेरिकियों के लिए देश के सबसे बड़े वकालत समूहों में से एक सिख गठबंधन लंबे समय से कहता रहा है कि सिखों के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण हमलों की कम रिपोर्ट की जाती है। सिख गठबंधन का कहना है कि समुदाय स्वयं कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ जुड़ने में अनिच्छा महसूस करता है और अक्सर यह समझ नहीं पाता कि पूर्वाग्रह से प्रेरित हमले की पहचान कैसे करें और रिपोर्ट कैसे करें।
संगठन का कहना है कि एफबीआई का घृणा अपराध डेटा तब तक अधूरा रहेगा जब तक कि देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में घृणा अपराध रिपोर्टिंग को अनिवार्य नहीं किया जाता और गंभीरतापूर्वक मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ अमल में नहीं लाया जाता।
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