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भारत की टाटा स्टील ने इस देश में सबसे बड़ा स्टील प्लांट बंद किया, ये है वजह

भारतीय कंपनी टाटा स्टील के मालिकाना हक वाले पोर्ट टैलबोट स्थित इस प्लांट में आखिरी फर्नेस को भी ब्लास्ट के जरिए ढहा दिया गया है।

इस प्लांट ने साउथ वेल्स के पोर्ट टैलबोट में 100 से अधिक वर्षों तक स्टील निर्माण किया है। / X @WalesOffice

ब्रिटेन की सबसे बड़ी स्टील फैक्ट्री ने सोमवार को उत्पादन स्थायी रूप से बंद कर दिया। साउथ वेल्स के पोर्ट टैलबोट में 100 से अधिक वर्षों तक स्टील निर्माण करने वाले इस प्लांट को भारी नुकसान के मद्देनजर बंद करने का कदम उठाया गया है।

भारतीय कंपनी टाटा स्टील के मालिकाना हक वाले इस प्लांट में आखिरी फर्नेस को भी ब्लास्ट के जरिए ढहा दिया गया है। पोर्ट टैलबोट स्थित ये फैक्ट्री एक समय यूरोप का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना था। ब्रिटेन के इस्पात उद्योग में भारी गिरावट और आयात में कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।  टाटा स्टील को यहां एक मिलियन पाउंड रोजाना का नुकसान हो रहा था।

टाटा स्टील के स्वामित्व वाली इस साइट पर अब इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस तैयार किया जाएगा जिसमें स्क्रैप से स्टील तैयार होगा। 1.25 बिलियन पाउंड की इस परियोजना में ब्रिटिश सरकार 500 मिलियन पाउंड का योगदान देगी। प्लांट तैयार होने से पहले तीन-चार साल तक डीकार्बोनाइजेशन किया जाएगा। 

जलवायु परिवर्तन के देखते हुए नेट जीरो लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ब्रिटेन में औद्योगिक ढांचे में काफी बदलाव किया जा रहा है। इस प्लांट को भी उसी के तहत बंद किया गया है।  कोयले से इलेक्ट्रिक स्टील मेकिंग पर स्विच करने से ब्रिटेन के कार्बन उत्सर्जन में 1.5% की कटौती होने की उम्मीद है क्योंकि पोर्ट टैलबोट का कोयला आधारित प्लांट देश का सबसे बड़ा सिंगल कार्बन उत्सर्जक है।

पोर्ट टालबोट से 200 मील दूर मध्य इंग्लैंड में ब्रिटेन का आखिरी कोयला आधारित बिजली प्लांट भी बंद होने वाला है। इस प्लांट में पिछले 140 वर्षों से अधिक समय से कोयले से बिजली बनाई जा रही थी। 

स्टीलवर्कर्स यूनियन कम्युनिटी ने एक बयान में कहा कि अंतिम ब्लास्ट के जरिए फर्नेस का बंद होना 'एमेंक युग का अंत' है। यह अविश्वसनीय रूप से दुखद और मार्मिक दिन है। 

चीनी स्वामित्व वाली कंपनी ब्रिटिश स्टील फिलहाल उत्तरी इंग्लैंड के स्कन्थोरपे में अपने दो ब्लास्ट फर्नेस में वर्जिन स्टील बना रही है लेकिन उसे भी ग्रीन मैन्यूफैक्चरिंग में तब्दील करने के लिए सरकार के साथ बातचीत की जा रही है।

ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि वह इस्पात उद्योग में 2.5 बिलियन पाउंड का निवेश करना चाहती है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने की अपनी योजनाओं पर अगले वसंत तक पॉलिसी जारी करेगी।



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