अमेरिका के सैन जोस में हाल ही में नॉर्थ अमेरिका के बृहन्महाराष्ट्र मंडल के द्विवार्षिक सम्मेलन (BMM 2024) का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान मराठी मूल की कई प्रमुख प्रवासी हस्तियों ने अपनी यादों के पिटारे खोले, अमेरिकी धरती तक अपने सफर और कामयाबी पर चर्चा की।
भारी भीड़ के बीच सैन जोस कन्वेंशन सेंटर में सैक्रेमेंटो किंग्स के चेयरमैन विवेक रणदिवे मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने अपनी सफलता की कहानी, सबक और भविष्य को लेकर विचार रखे। इसके बाद संजय सुबेदार के साथ उनकी एक फायरसाइड चैट हुई, जिसमें 3 ईडियट्स फेम ओमी वैद्य भी शामिल हुए।
विवेक ने मजाकिया अंदाज में उपस्थित युवाओं से कहा कि आपके बहुत से अंकल और आंटियां बड़ी-बड़ी कंपनियां चला रहे हैं। व्हाइट हाउस में भी आपकी आंटी हैं। दर्शकों की खिलखिलाहट के बीच उन्होंने आगे कहा कि आप मानवीय इतिहास के सबसे निर्णायक दौर में हैं। यह डिजिटल एआई का दौर है। युवाओं के लिए इससे बेहतर समय और कुछ नहीं हो सकता।
एमआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर और मास्टर्स डिग्री लेने वाले विवेक ने मुंबई से अमेरिका के अपने सफर के बारे में बताया। हार्वर्ड से एमबीए करने वाले विवेक ने कहा कि उस दौर में मुंबई से अमेरिका की उड़ानें रात में उतरती और उड़ती थीं। मेरी दादी मुझे एयरपोर्ट पर छोड़ने आई थीं। जाते वक्त उन्होंने मेरे कान में कहा था- तुम क्षत्रिय हो, मेरे योद्धा राजकुमार। अब तुम्हें ये युद्ध अकेले ही लड़ना होगा। पूरी मेहनत से आगे बढ़ना।
विवेक ने अपने मजबूत मराठी मूल्यों, संस्कृति, विवेक और विनम्रता की अहमियत का भी जिक्र करते हुए कहा कि पहली पीढ़ी के भारतीय इंजीनियर बनना चाहते थे, दूसरी पीढ़ी के सीईओ बनकर कंपनियां चलाना चाहते थे, लेकिन तीसरी पीढ़ी के भारतीय ऐसे हैं, जिनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
इसके बाद, फायरसाइड चैट में उन्होंने मशहूर वेंचर कैपिटलिस्ट और आंत्रप्रेन्योर संजय सूबेदार के साथ चर्चा की। चैट में विवेक के अलावा 49ers एंटरप्राइज के प्रेसिडेंट पराग मराठे, कैस्पर लैब्स की सह संस्थापक और सीटीओ मेधा पारलिकर, पिंट्स ऑफ जॉय आइसक्रीम की सह संस्थापक केतकी दंडेका के अलावा मशहूर बॉलीवुड फिल्म 3 ईडियट्स के चतुर रामलिंगम भारतीय-अमेरिकी एक्टर व फिल्मकार ओमी वैद्य भी शामिल हुए।
पराग मराठे ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि सैराटोगा में हम लोग ऐसे लोगों के बीच पले-बढ़े, जो हमारे नाम भी ठीक से नहीं बोल पाते थे। शुरू से ही मेरी रुचि ट्रडिशनल करियर में नहीं रही। मुझे कंपटीटिव स्पोर्टस पसंद था। लेकिन तब खेल में श्वेत लोगों के अलावा किसी और को जगह नहीं मिलती थी। फिर हमारी कंसल्टिंग फर्म ने मशहूर कोच बिल वाल्श के साथ काम करने के लिए मुझे हायर किया। इसके बाद हमारी दुनिया ही बदल गई।
रणदिवे ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि भारतीय एथलीट खूब नाम कमाएंगे। स्टैनफोर्ड टेनिस टीम के अधिकांश बच्चे भारतीय हैं। उनके कोच को अच्छा पैसा मिलता है। मैंने भी अपने पिछले कोच को कॉन्ट्रैक्ट के तहत 100 मिलियन डॉलर दिए थे।
साउथ कैलिफोर्निया में पले-बढ़े ओमी वैद्य ने बताया कि घर पर वह मराठी बोलते हैं। पहले उन्हें इसके अलावा कोई और भारतीय भाषा नहीं आती थी। उन्हें लगता था कि पूरे भारत में सिर्फ मराठी ही बोली जाती है। लेकिन जब वह बॉलीवुड फिल्म में काम करने के लिए मुंबई पहुंचे और यूपी के एक ऑटो रिक्शा वाले से मराठी में रास्ता पूछा तो वह यह देखकर चौंक गए कि वो उनकी बोली नहीं समझ पा रहा था। लेकिन अब दुनिया बदल चुकी है। अब आप किसी भी भाषा का कंटेंट सबटाइटल्स के साथ देख सकते हैं।
मेधा परिलकर ने मेडिकल एजुकेशन में अपना सफर शुरू किया था, लेकिन पिता को बेसमेंट में एमपी3 के साथ खेलते देख उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। छोटे से गांव में उनके पिता ही उनके रोल मॉडल बन गए। इसके बाद मेधा ने अपनी कंपनी कैस्पर को नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया।
भारत की प्रमुख स्टेशनरी एंड आर्ट मटीरियल कंपनी कैमलिन के परिवार से संबंध रखने वाली केतकी ने कोरोना काल में किचिन से आइसक्रीम को पिंट्स ऑफ जॉय कंपनी बनाकर दूर-दूर तक लोगों के बीच पहुंचाने के अपने सफर को बयां किया।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login