अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच या कहें कि ठीक पहले एक बड़ी हलचल है। हलचल सत्तासीन डेमोक्रेटिक पार्टी में है। इस हलचल ने न केवल सत्ताधारी पार्टी में खलबली मचा दी है बल्कि मतदाताओं के साथ-साथ समर्थकों और वित्तपोषकों (फाइनेंसर्स) को भी असमंजस में डाल दिया है। अमेरिका और दुनियाभर के मीडिया में वर्तमान राष्ट्रपति और दूसरी बार सत्ता की दावेदारी कर रहे पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन को बदलने की चर्चाएं और मुकाबला छोड़ने की मांग है। तात्कालिक रूप से राष्ट्रपति कार्यालय ने 'हंगामे' पर अपनी तरफ से विराम लगाते हुए राष्ट्रपति बाइडेन के पीछे हटने के सवाल को सिरे से खारिज कर दिया है। व्हाइट हाउस ने बाइडेन कार्यकाल को ऐतिहासिक बताते हुए सत्ताधारी पार्टी की मंशा साफ की है।
बहरहाल, यह हलचल कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि उम्मीदवार बदलने की मांग पार्टी के भीतर ही होने लगी है, ऐसा कहा जा रहा है। किंतु यह चर्चा नई नहीं है। इसने गति तब पकड़ी जब पिछले सप्ताह ट्रम्प और बाइडेन की बहस में पूर्व राष्ट्रपति का पलड़ा भारी दिखा। इसी सियासी हलचल का दूसरा हिस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। मांग यह भी होने लगी है कि डेमोक्रेटिक पार्टी अपना उम्मीदवार बदलकर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को ट्रम्प के मुकाबले में उतार दे। कुछ लोग हैरिस के नाम को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं तो कुछ उम्मीदवार बदलने की वकालत कर रहे हैं। इसी बीच एक सर्वे ने दावा किया है कि बाइडेन की तुलना में कमला हैरिस कमाल कर सकती हैं। यह बात भारतीय या भारतीय अमेरिकियों को पुलकित कर सकती है।
सर्वे कहता है कि ट्रंप लोकप्रियता के मामले में बाइडेन से छह अंक आगे हैं। सर्वेक्षण में हैरिस, ट्रंप के बीच काल्पनिक मुकाबले को लेकर भी सर्वे कराया गया जिसके अनुसार 47 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता ट्रंप का समर्थन करते हैं जबकि 45 प्रतिशत कमला हैरिस के समर्थक हैं। यानी उनके आमने-सामने होने की स्थिति में मुकाबला नजदीकी होगा। पहली बहस के बाद सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी में यह मांग मुखर हो रही है कि बाइडेन को पीछे हट जाना चाहिए और पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पार्टी की ओर से किसी अन्य उम्मीदवार को मौका देना चाहिए।
इसी बीच बीती 2 जुलाई को सत्ताधारी और प्रमुख विपक्षी पार्टी के चुनाव अभियान की ओर से धन-संचय के आंकड़े पेश किये हैं। अगर उन आंकड़ों को लोकप्रियता एक पैमाना मान लिया जाए तो उनमें भी ट्रम्प वर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन से खासे आगे हैं। राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान ने दूसरी तिमाही में 331 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह राशि राष्ट्रपति जो बाइडन के अभियान और उनके डेमोक्रेटिक सहयोगियों द्वारा इसी अवधि में जुटाए गए 264 मिलियन डॉलर से अधिक है। धन-संचय से जुड़ी कुछ खबरें और उनमें किये गये दावे भी बाइडेन अभियान की गति पर ब्रेक लगाते दिखते हैं। दावा किया जा रहा है कि बाइडेन के सहयोगियों ने पिछले सप्ताहांत महत्वपूर्ण अभियान फाइनेंसरों के कुछ असहज करने वाले फोन सुने जिन्होंने सवाल किया कि क्या 81 वर्षीय डेमोक्रेट को दौड़ में बने रहना चाहिए।
हालांकि बाइडेन ने बहस में अपने निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर कुछ दलीलें दी हैं लेकिन उन दलीलों से जनता और असमंजस में धिरे प्रत्यक्ष व परोक्ष समर्थक कितने संतुष्ट होंगे यह कुछ समय बाद ही पता चलेगा अलबत्ता अभी यह बात यकीनी तौर पर कही जा सकती है कि अमेरिका के चुनावी अखाड़े में उठी यह हलचल बाइडेन और उनके अभियान के साथ ही पार्टी के लिए भी अच्छा संकेत तो नहीं है। यक्षप्रश्न यह भी है कि यह हलचल कैसे शांत होगी?
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