वाशिंगटन डीसी स्थित एटलस परफॉर्मिंग आर्ट्स सेंटर में 15 मार्च को इंटरसेक्शंस फेस्टिवल के हिस्से के रूप में ‘भूमि’ नाम से भारतीय शास्त्रीय नृत्य शो होने वाला है। ये डांस शो कलानिधि डांस की फाउंडर और आर्टिस्टिक डायरेक्टर अनुराधा नेहरू और कलानिधि की ही एक पूर्व छात्रा चित्रा कल्याणदुर्ग ने मिलकर बनाया है। भूमि को लोकल डांस कमीशनिंग प्रोजेक्ट के माध्यम से विकसित किया गया था। इसे जॉन एफ. कैनेडी सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा फंडेड किया गया था।
खास बात ये है कि ‘भूमि’ में जो डांसर परफॉर्म कर रहे हैं, उन्होंने बताया है कि इस शो ने क्लाइमेट चेंज, आर्ट और सोशल एक्टिविज्म को लेकर उनके नजरिए को कैसे बदला है।
अंजना कुट्टामथ कहती हैं, 'भूमि सिर्फ एक परफॉर्मेंस नहीं रही, बल्कि एक जबरदस्त बदलाव का सफर रहा। इंटरेक्शन डिजाइन में मास्टर्स की स्टूडेंट होने के नाते, मैं हमेशा से ऐसा काम ढूंढती रही हूं जिससे कुछ फर्क पड़े। इस शो ने मुझे दिखाया कि डांस खुद ही कितना ताकतवर माध्यम हो सकता है बदलाव लाने का। इसने मुझे क्लाइमेट एक्शन के बारे में और भी जागरूक किया है। रोजमर्रा के कामों में ज्यादा सोच-समझकर काम करने की प्रेरणा मिली है। आर्ट को एक एडवोकेसी टूल के तौर पर इस्तेमाल करने का भी नजरिया मिला है । इस पहल का हिस्सा बनकर मुझे ये एहसास हुआ है कि मूवमेंट सिर्फ एक्सप्रेशन नहीं है, बल्कि एक कॉल टू एक्शन है। और मुझे इस मकसद से डांस करने का सम्मान है।'
देविका वलीयिल बताती हैं, 'भूमि की परफॉर्मेंस ने मुझे पर्यावरण से एक ऐसे तरीके से जोड़ा है, जिसकी मुझे उम्मीद तक नहीं थी। पंचतत्वों – धरती, पानी, आग, हवा और आकाश – के साथ डांस करते हुए मुझे एहसास हुआ कि हम सिर्फ इस ग्रह पर नहीं रह रहे हैं, बल्कि इसका हिस्सा हैं। एक पल मुझे हमेशा याद रहेगा – तूफान वाले सीक्वेंस की रिहर्सल, ऐसा लगा जैसे हम खुद प्रकृति के उथल-पुथल को महसूस कर रहे थे।'
देविका आगे कहती हैं, 'मुझे समझ आया कि हमने कितना नुकसान किया है, लेकिन हमारे पास चीजों को बदलने की कितनी ताकत भी है। मैं बस यही चाहती हूं कि दर्शक भी यही कनेक्शन और अहमियत महसूस करें। ऐसा न लगे कि ये कोई दूर की बात है, ये तो अभी हो रहा है, और हम सबकी इसमें भूमिका है।'
मण्या येल्लेपेड्डी ने इस शो के अपने आर्टिस्टिक और पर्यावरणीय जागरूकता पर पड़े असर पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, 'कोरियोग्राफी और संगीत के जरिए क्रिएटिव एक्सप्रेशन देखने से लेकर ज्यादा औद्योगीकरण और क्लाइमेट चेंज को रोकने में मेरी दिलचस्पी बढ़ने तक। इस अनुभव के जरिये मैंने देखा है कि कोरियोग्राफी और कला कितने बड़े मायने समझाने में सक्षम हैं।'
समहिता गुरराम के लिए ये परफॉर्मेंस पर्यावरणीय जिम्मेदारी का एक सबक रहा है। वो कहती हैं, 'इसने मुझे अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करना सिखाया है। जैसे रीसाइक्लिंग करना या कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करना। ये छोटे-छोटे काम ही हमारे पर्यावरण को बेहतर बना सकते हैं।'
सीरी तंजोर कहती हैं, 'भूमि में अनोखे और बहुमुखी मूवमेंट्स ने मुझे खुद को इसमें पूरी तरह से डुबोने और प्रोडक्शन के असली कॉन्सेप्ट से जुड़ने में मदद की। मिसाल के तौर पर, डांस में एक मूवमेंट था जहां मैंने हवा को दिखाया, तो उस स्टेप को करते हुए मैं हवा के झोंके को अपने शरीर से टकराते हुए महसूस करती थी।'
नृत्यांगना इस जरूरी शो को सबके साथ शेयर करने के लिए बेहद उत्सुक हैं, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और बदलाव के लिए प्रेरित किया जा सके। दर्शकों को इस बेहतरीन परफॉर्मेंस को देखने और इसके संदेश – लचीलापन और पर्यावरण के प्रति जागरूकता – से जुड़ने का न्यौता है।
2021 में आखिरी बार परफॉर्म किया गया भूमि क्लाइमेट चेंज के गंभीर मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करते हुए अब एक नए जोश के साथ वापस आ रहा है। Intersections Festival एक सालाना क्रॉस-कल्चरल आर्ट्स इवेंट है जिसमें म्यूजिक, थिएटर और डांस शामिल हैं। इस साल का फेस्टिवल 15 फरवरी से 16 मार्च तक चल रहा है।
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