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भाविनी पटेल की कांग्रेसी दावेदारी समाप्त, डेमोक्रेटिक प्राइमरी में शिकस्त

पटेल के अभियान को प्रगतिशील नीतियों के साथ उनके जुड़ाव और बाइडन के लिए उनके मुखर समर्थन के रूप में देखा गया जबकि पहली बार विधायक बनी ली बाइडन की नीतियों के कुछ पहलुओं की आलोचक थीं।

भाविनी पटेल / Image : X@Bhavini Patel

अमेरिका के राजनीतिक पटल पर एक प्रमुख भारतीय अमेरिकी हस्ती भाविनी पटेल की पेंसिल्वेनिया से 12वीं कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट सीट के लिए दावेदारी डेमोक्रेटिक प्राइमरी में मिली हार के साथ समाप्त हो गई है। प्राथमिक दौड़ पर सबकी गहरी नजर थी। भाविनी ने मौजूदा कांग्रेसी महिला समर ली को चुनौती दी थी। हालांकि पटेल के अभियान की शुरुआत उत्साहजनक रही लेकिन आखिर में वह ली से पिछड़ गईं।  डेमोक्रेटिक प्राइमरी में ली को 59% वोट मिले और पटेल को 41% ही हासिल हो सके। 

पेंसिल्वेनिया में प्राथमिक चुनावों में राष्ट्रपति जो बाइडन और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रम्प को अपनी-अपनी पार्टी की प्रतियोगिताओं में महत्वपूर्ण जीत मिली। 94% वोटों के साथ डेमोक्रेट्स के बीच बाइडन का जबरदस्त समर्थन रिपब्लिकन के ट्रम्प के 80% समर्थन के बिल्कुल विपरीत था। विशेष रूप से पूर्व रिपब्लिकन उम्मीदवार निकी हेली ने आश्चर्यजनक रूप से पेंसिल्वेनिया के राष्ट्रपति पद के प्राथमिक चुनाव में लगभग 20% रिपब्लिकन वोट हासिल किए। हालांकि निकी अब तो राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से बाहर हो गई हैं। 

पटेल के अभियान को प्रगतिशील नीतियों के साथ उनके जुड़ाव और बाइडन के लिए उनके मुखर समर्थन के रूप में देखा गया जबकि पहली बार विधायक बनी ली बाइडन की नीतियों के कुछ पहलुओं की आलोचक थीं। ली ने इजराइल के साथ संघर्ष में फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन किया। प्राथमिक नतीजों ने पिट्सबर्ग और इसके आसपास के क्षेत्रों में दृढ़ता से गूंजने वाले प्रगतिशील मूल्यों की एक व्यापक स्थिति को प्रतिबिंबित किया है।

चुनाव के दौरान भारत के गुजरात राज्य से एक अप्रवासी के रूप में भाविनी पटेल की व्यक्तिगत पृष्ठभूमि और भारतीय प्रवासी की पहचान साफ तौर पर सामने आई। पटेल अक्सर अपनी मां की संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के बारे में बात करती थीं, जहां उन्होंने पश्चिमी पेंसिल्वेनिया में एक सफल खानपान और खाद्य ट्रक व्यवसाय बनाया। अप्रवासियों की सफलता और दृढ़ता की यह कहानी अमेरिकी सपने को प्रतिध्वनित करती है और पटेल के अभियान में एक केंद्रीय विषय थी।

हालांकि पटेल का अभियान चुनौतियों भरा था। उन्होंने अमेरिकी राजनीति में भेदभाव के मुद्दों को उजागर करते हुए घृणा अपराधों और नस्लीय दुर्व्यवहार की बात कही। इन चुनौतियों के बावजूद पटेल को देश भर के हिंदू और यहूदी समूहों सहित विभिन्न समुदायों से समर्थन मिला जिन्होंने समावेशिता और प्रगति के उनके संदेश के प्रति समर्थन जताया था। 

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