अमेरिकी चुनावों पर निगरानी रखने वाली सीनेट की खुफिया एवं नियम समिति के सदस्य सांसद माइकल बेनेट ने सोशल मीडिया कंपनियों को एक पत्र लिखा है। यह पत्र अल्फाबेट, मेटा, टिकटॉक और एक्स को लिखा गया है। इन कंपनियों से भारत सहित विभिन्न देशों में चुनाव की तैयारियों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
दरअसल, कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अफवाहें और गलत जानकारी को बढ़ाने देने के आरोप लगते रहे हैं। इसी को देखते हुए सांसद ने सवाल खड़ा किया है। इन कंपनियों को संबोधित एक पत्र में सीनेटर बेनेट ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की वजह से सामने आने वाले जोखिमों को लेकर सवाल किया गया है। विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल के आने से चुनौती बढ़ गई है।
बेनेट ने लिखा है कि चुनावों में नए सोशल मीडिया यूजर्स से ही खतरा नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल लोकतांत्रिक प्रक्रिया और राजनीतिक स्थिरता दोनों के लिए जोखिम को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। एआई के चलन से खतरा और बढ़ गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हाईटेक एआई उपकरणों की पहुंच ने डीपफेक जैसी भ्रामक सामग्री के प्रसार के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है। यह चुनाव और राजनीतिक स्थिरता के लिए सही नहीं है।
बेनेट ने कंपनियों से एआई-जनित चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों का खुलासा करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के ऑनलाइन हेरफेर से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने का आग्रह किया है। बेनेट ने लिखा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में मेटा-स्वामित्व वाले व्हाट्सएप सहित देश के प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भ्रामक और झूठी सामग्री को बढ़ाने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है। बेनेट ने राजनीतिज्ञों द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए भावनाओं का भड़काने वाले दुष्प्रचार नेटवर्क के प्रसार पर चिंताओं का हवाला दिया है।
बेनेट ने लिखा है कि 2024 लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है। 70 से अधिक देशों में चुनाव होने वाले हैं। मतदान में दो अरब से अधिक लोग भाग ले रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मैं जानना चाहता हूं कि 2024 के भारतीय चुनाव की तैयारी के लिए आपने कौन सी नई नीतियां बनाई हैं। उन्होंने कहा कि दुष्प्रचार और गलत सूचना लोकतांत्रिक देश में जहर घोल देती हैं। आपके मंचों को लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए, न कि इसे कमजोर करना चाहिए।
उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाएं और पूर्णकालिक या अंशकालिक कांट्रैक्ट पर मध्यस्थों की संख्या और एआई-जनित सामग्री की पहचान करने के लिए अपनाए गए उपकरण सहित प्लेटफार्मों की चुनाव-संबंधी नीतियों, सामग्री मॉडरेशन टीमों के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया है।
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