भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध इस वक्त ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर हैं। ऑस्ट्रेलिया इन संबंधों को और आगे ले जाकर पारस्परिक रूप से सैन्य आदान प्रदान तक बढ़ाना चाहता है। यह कहना है भारत में ऑस्ट्रेलिया के नवनियुक्त उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन का। फिलिप ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों पर कई और महत्वपूर्ण बातें कही हैं।
उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध इस वक्त जिस स्तर पर हैं, वहां पहले कभी नहीं थे। इनके आगे और भी मजबूत होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इन संबंधों की मजबूती में तीन चीजों का अहम योगदान हैं। इतिहास में पहली बार दोनों देश सामरिक रूप से इतने करीब आए हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी दोनों सहयोगी हैं।
दूसरा पहलू है भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग। भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 7 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है। ऐसे में सभी देश भारत से संबंध बढ़ाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत का सिर्फ पड़ोसी ही नहीं, बल्कि सामरिक सहयोगी भी है। आपसी संबंधों की मजबूती का तीसरा पहलू ये है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों की बहुत बड़ी संख्या है, जो वहां के आबादी का लगभग 4 प्रतिशत हैं। यह बहुत बड़ी बात है।
दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों पर उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने कहा कि हम समुद्री सहयोग को और ऊपर ले जाने पर बात कर रहे हैं। समुद्र में दोनों ही देशों के पारस्परिक हित हैं। खासकर उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर में हम दोनों एकदूसरे के फायदे के लिए काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत समुद्री निगरानी में सक्षम है और भौगोलिक रूप से मजबूत भी है। हम भी इस इलाके में काफी सक्रिय हैं। ऐसे में दोनों सूचनाओं के आदान प्रदान से एक दूसरे की मदद कर सकते हैं और वहां होने वाली घटनाओं के बारे में त्वरित और स्पष्ट कार्रवाई कर सकते हैं।
उच्चायुक्त ग्रीन ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि हम रक्षा संबंधों को और आगे ले जाकर सैनिकों की पारस्परिक तैनाती तक बढ़ा सकते हैं। इसके तहत ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस फोर्सेज के कुछ अधिकारियों को भारतीय रक्षा सेनाओं में रख सकते हैं, जिन्हें वहां से ऑपरेट करने में आसानी होगी। इसी तरह भारत के कुछ सैनिकों को हमारे जॉइंट हेडक्वार्टर्स में तैनात किया जा सकता है।
उच्चायुक्त ग्रीन ने कहा कि संबंधों के मौजूदा स्तर से ये कुछ ज्यादा है, लेकिन मेरा मानना है कि इस दिशा में प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया उच्चायुक्त के तौर पर ये मेरे निजी विचार हैं।
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