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भगवान जगन्नाथ के जयकारों के साथ सिडनी में रथयात्रा महोत्सव की धूम

सिडनी में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। भगवान के अद्भुत स्वरूप के दर्शन करते हुए भक्तगण कभी शीश झुकाते तो कभी दंडवत प्रणाम करते नजर आए।

सिडनी में 7 और 13 जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव की धूम रही। / Image provided

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की भारत में ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया में भी धूम रही। सिडनी में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली गई। प्रवासियों के अलावा कई देशों के लोगों ने भी इस अवसर पर जगन्नाथ जी के रथ को खींचा। 

भारत के सबसे बड़े धार्मिक त्योहारों में से एक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा महोत्सव आषाढ़ के महीने में आयोजित होता है। 'रथों के उत्सव' नाम से चर्चित यह पर्व हर साल खासे उत्साह के साथ मनाया जाता है। 

इस बार सिडनी में 7 और 13 जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव की धूम रही। पहले 7 जुलाई को सिडनी से 166  किलोमीटर दूर इस्कॉन के  न्यू गोकुल फार्म में उत्सव मनाया गया। उसके बाद शनिवार 13 जुलाई को सिडनी लिवरपूल के बिगे पार्क में रथ यात्रा निकाली गई। 

इस अवसर पर भगवान कृष्ण, बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को पूरे विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करके रथ में स्थापित किया गया। जय जगन्नाथ और हर कृष्णा हरे रामा की गूंज के साथ भक्तों ने रथ को खींचा और कई जगहों पर घुमाया।

मान्यता है कि जगन्नाथ जी के रथ को खींचने से सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं में भगवान की सेवा करने की होड़ सी दिखी। कुछ लोग रथ खींचते दिखे तो कुछ भक्त रथ के आगे झाड़ू लगाते हुए चल रहे थे। 

इस्कॉन मंदिर की भजन मण्डली ने प्रभु के नाम का गुणगान किया। पारम्परिक भारतीय परिधानों में महिलाओं ने रथ के आगे नृत्य किया। इस दृश्य को देखकर ऐसा आभास हुआ कि साक्षात वृन्दावन की गोपियां नाच रही हों। सिडनी में जमीं से लेकर आकाश तक कण-कण में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति का आभास हो रहा था। 

सिडनी में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। भगवान के अद्भुत स्वरूप के दर्शन करते हुए भक्तगण कभी शीश झुकाते तो कभी दंडवत प्रणाम करते नजर आए। बिगे पार्क लिवरपूल में रथयात्रा की शुरुआत से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत अलग-अलग डांस अकेडमी की नृत्यांगनाओं ने पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत किए। 

महोत्सव के दौरान न्यू गोकुल फार्म में बच्चों के लिए खास व्यवस्था की गई थी। कई बच्चों ने कृष्ण, बलराम और सुभद्रा के स्वरूप धारण किए। बच्चों ने भगवान जगन्नाथ के चित्र को मनपसंद रगों से भी सजाया। गायन, वादन और नृत्य के साथ झांकी निकाली गई। 

कलांकन डांस अकादमी की अमृता पाल चौधरी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के रथ उत्सव का हिस्सा बनना हमेशा सौभाग्य की बात होती है। जगन्नाथ हमारे जीवन में हमेशा एक शक्ति की तरह रहे हैं। मैं हर साल यहां प्रस्तुति देने आती हूं। कई वर्षों से यहां यात्रा का आयोजन हो रहा हैं। सबसे बड़ी बात कि अपनी मातृभूमि से दूर रहते हुए भी हम भारतीय संस्कृति को अपने अंदर कायम रख रहे हैं। 

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