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यूक्रेन में शांति बहाली के लिए दावोस में भारत की तरफ उठीं नजरें, मोदी की चर्चा

स्विट्जरलैंड ने रूस के साथ भारत के प्रभाव और संबंधों को देखते हुए इस प्रक्रिया में भारत की संभावित भूमिका पर रोशनी डाली। बैठक में शामिल होने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भारत के इस रुख का समर्थन किया कि युद्ध एक समाधान नहीं हो सकता है और स्थिति को हल करने के लिए बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया।

यूक्रेन-रूस युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए दावोस में जुटे विभिन्न देशों के NSA। / @sidhant

विश्व के किसी भी देश में कोई समस्या क्यों न हो, समाधान के लिए सबकी आंखें भारत की तरफ ही उठती है। विभिन्न देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) यूक्रेन के लिए भविष्य की योजना पर चर्चा करने और युद्धग्रस्त देश में शांति बहाल करने के महत्व पर जोर देने के लिए दावोस में जमा हुए। मेजबान के रूप में स्विट्जरलैंड ने रूस के साथ भारत के प्रभाव और संबंधों को देखते हुए इस प्रक्रिया में भारत की संभावित भूमिका पर रोशनी डाली।

बैठक में शामिल होने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भारत के इस रुख का समर्थन किया कि युद्ध एक समाधान नहीं हो सकता है और स्थिति को हल करने के लिए बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया। भले ही भारत ने चल रहे युद्ध पर तटस्थ रुख बनाए रखा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है।

बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक कार्यक्रम में भारत के पीएम मोदी ने कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए। मोदी के इस बयान को 2022 में G20 घोषणा में शामिल किया गया था। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि दावोस बैठक में भारतीय प्रतिनिधि ने जल्द से जल्द शांति बहाली की आवश्यकता को दोहराया।

स्विस विदेश मंत्री इग्नाजियो कैसिस ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस को शांति चर्चा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, लेकिन अन्य देशों द्वारा मध्यस्थता आवश्यक होगी। कैसिस ने जोर देकर कहा कि अंतिम उद्देश्य शांति बहाल करना है। जबकि रूस वर्तमान में रियायतें देने के लिए तैयार नहीं है, दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए यूरोप के बाहर के देशों सहित 100 से अधिक देशों से सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है।

कैसिस ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए बातचीत के महत्व पर जोर दिया और कहा कि युद्ध कोई समाधान नहीं है। कैसिस ने रूस के साथ संबंधों के कारण भारत सहित ब्रिक्स देशों की भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत जैसे देशों की उनके कार्यों के लिए सराहना की, क्योंकि वे सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देते हैं।

हालांकि कैसिस ने चीन का भी नाम लिया और कहा कि इन बैठकों में चीन को शामिल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने चीन और रूस को मेज पर लाने में मदद करने के लिए स्विट्जरलैंड की इच्छा भी जताई। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके रूस के साथ संबंध और विश्वास का स्तर है। कैसिस ने उदाहरण के तौर पर ब्राजील, भारत, सऊदी अरब और दक्षिण अमेरिका का जिक्र किया।

उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति के अर्जेंटीना दौरे का भी उल्लेख किया। कैसिस ने स्वीकार किया कि चीन के साथ बातचीत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत ही एकमात्र विकल्प है। बैठक में चीन मौजूद नहीं था जबकि भारत का प्रतिनिधित्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री ने किया। स्विस विदेश मंत्रालय ने कहा कि स्विट्जरलैंड ने शांति हासिल करने के यूक्रेन के लक्ष्य का समर्थन करने के लिए बैठक का आयोजन किया।

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