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डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कन्वेंशन से जुड़ी इस कमिटी में अश्विन रामास्वामी को मिली अहम जिम्मेदारी

अश्विन रामास्वामी की कमिटी में नियुक्ति दिखाती है कि डेमोक्रेटिक पार्टी जॉर्जिया में दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकियों और नई पीढ़ी के नेताओं को कितना महत्व दे रही है।

अश्विन रामास्वामी जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए 48वें डिस्ट्रिक्ट से उम्मीदवार हैं। / x @ashwinforga

जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए 48वें डिस्ट्रिक्ट से उम्मीदवार अश्विन रामास्वामी को डेमोक्रेटिक पार्टी के आगामी नेशनल कन्वेंशन (डीएनसी) से जुडी एक अहम समिति में शामिल किया गया है। अश्विन डीएनसी की क्रेडेंशियल कमेटी में तीन अन्य सदस्यों के साथ अहम योगदान देंगे। डीएनसी का आयोजन 19 से 22 अगस्त तक शिकागो में होना है। 

यह क्रेडेंशियल कमेटी नेशनल कन्वेंशन के लिए बाइडेन-हैरिस की तरफ से बनाई गई तीन स्थायी समितियों में से एक है। क्रेडेंशियल कमेटी के सदस्य के रूप में अश्विन डेलीगेट्स के क्रेडेंशियल से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी संभालेंगे और उनके सीटिंग अरेंजमेंट में सहयोग करेंगे। 

अश्विन की नियुक्ति दिखाती है कि डेमोक्रेटिक पार्टी जॉर्जिया में दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकियों और नई पीढ़ी के नेताओं को कितना महत्व दे रही है। इससे पार्टी के भविष्य को आकार देने में इनकी भूमिका भी तय होगी। 

अश्विन रामास्वामी ने कमिटी में शामिल होने पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जॉर्जिया के लोगों का प्रतिनिधित्व करने पर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ूगा कि जनता आगामी नवंबर में होने वाले चुनावों में राजनीतिक चरमपंथियों को नकारे और सही नेताओं को सशक्त बनाए। 

जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए डिस्ट्रिक्ट 48 से चुनावी मैदान में उतरने से पहले रामास्वामी साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) में काम करते थे। आगामी चुनाव में उनका मुकाबला शॉन स्टिल से होना है, जिन पर चुनाव में फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। 

लेटेस्ट फाइनेंस रिपोर्ट बताती है कि अश्विन अब तक अपने जमीनी अभियान के जरिए 280,000 डॉलर से अधिक का अनुदान हासिल कर चुके हैं। यह प्रतिद्वंद्वी शॉन स्टिल से कहीं ज्यादा है। अश्विन लोगों से जुड़े आम मुद्दों के समाधान का वादा कर रहे हैं। इनमें स्कूलों की फंडिंग, छोटे कारोबारियों के सपोर्ट, स्वास्थ्य एवं आवास को किफायती बनाने और वोट देने के अधिकार की रक्षा करना प्रमुख है। 
 

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