विश्व शांति केंद्र एवं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश जी को इस साल के अशोक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार विश्व शांति, सद्भाव एवं अहिंसा को आगे बढ़ाने में उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया है।
अहिंसा, शांति, सद्भावना, मानवता, प्रेम एवं बंधुत्व के विचारों के वैश्विक प्रसार में असाधारण योगदान के लिए आचार्य जी को अशोक पुरस्कार प्रदान किया गया है। फोटो Ahimsa Vishwa Bharti
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आचार्य लोकेशजी ने अहिंसा, शांति, सद्भावना, मानवता, प्रेम एवं बंधुत्व के विचारों के वैश्विक प्रसार में असाधारण योगदान दिया है। आचार्य लोकेशजी उन सभी के लिए एक आशा की किरण हैं जो आतंकवाद, हिंसा और वैचारिक असहमति को रोकने के लिए अथक प्रयास करते हैं।
पुरस्कार समारोह हाल ही में नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया। फोटो Ahimsa Vishwa Bharti
पुरस्कार समारोह हाल ही में नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया। इस दौरान भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष जे.जे. सिंह और संदीप मारवाह ने आचार्य लोकेशजी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आचार्य जी सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी उपलब्धियां और शक्तियां हमें उम्मीदों से भरे अच्छे भविष्य की झलक दिखाती है।
लोकेश जी ने कहा कि यह सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं है, यह संपूर्ण प्राचीन भारतीय संस्कृति का सम्मान है। फोटो Ahimsa Vishwa Bharti
उन्होंने कहा कि आचार्य लोकेशजी को सम्मानित करने करके सीडब्ल्यूसीआईआर की टीम खुद सम्मानित महसूस कर रही है। इस अवसर पर जैनाचार्य लोकेश जी को पुरस्कार के अलावा प्रशस्ति पत्र और शॉल देकर सम्मानित किया गया।
अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेशजी ने इस अवसर पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं है, यह संपूर्ण प्राचीन भारतीय संस्कृति का सम्मान है, भगवान महावीर एवं उनके सिद्धांतों का सम्मान है।
आचार्य लोकेशजी ने कहा कि वैसे तो संत सम्मान और उलाहना से परे होते हैं लेकिन इस पुरस्कार से जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। उन्होंने आह्वान किया कि आइए हम सब मिलकर विश्व में शांति एवं करुणा स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दें।
इस कार्यक्रम में कई आईएफएस, आईएएस, आईआरएस, आईपीएस अधिकारियों ने हिस्सा लिया और आचार्य जी के लिए अपने विचार प्रकट करते हुए और शुभकामनाएं दीं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login