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क्वाड वार्ता से भारत-अमेरिका व्यापार संबंध मजबूत करने का आह्वान

जब सुब्रमनी से यह पूछा गया कि क्या भारत 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है तो बिजनेस एक्जीक्यूटिव ने हामी भरी लेकिन साथ ही कहा कि देश को दैनिक जरूरतों के लिए संघर्ष करने वालों और शीर्ष पर मौजूद लोगों के बीच का अंतर पाटना होगा।

TimeX सीईओ अरविंद सुब्रमनी न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ साक्षात्कार के दौरान। / Courtesy Photo

TimeX के सीईओ अरुण सुब्रमनी का कहना है कि भारत को क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बातचीत के प्रयासों के माध्यम से अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। NIA के साथ एक विशेष बातचीत में सुब्रमनी ने समग्र व्यापार अधिशेष में भारत की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए क्वाड के साथ संबंध विकसित करने पर जोर दिया। 

सुब्रमनी ने कहा कि अगर आप संयुक्त राज्य अमेरिका को भारत का निर्यात देखें तो हमने पिछले दशक में कुछ महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है लेकिन उस गति को जारी रखने के लिए हमें क्वाड समेत कई संगठनों पर अपनी मदद करने के लिए दबाव डालने की जरूरत है। इससे हमें पश्चिमी देशों और पश्चिमी यूरोप के साथ आवश्यक समग्र व्यापार अधिशेष में खुद को प्रासंगिक बनाने में मदद मिलेगी। 

बकौल सुब्रमनी हम नहीं चाहते कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार घाटे की स्थिति बने। हम चाहते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा कम हो। अभी यह सालाना 500 अरब डॉलर (कुल भारतीय व्यापार घाटा) से अधिक है। टैरिफ लगाना एक बहुत ही खराब रणनीति है क्योंकि हमने देखा है कि यह दीर्घकालिक रूप से हमारे खिलाफ काम करता है। आखिरकार अमेरिका एक पूंजीवादी बाजार है। वे टैरिफ के बावजूद प्रतिस्पर्धी बने रहने के तरीकों और साधनों का पता लगाएंगे। 

जब सुब्रमनी से यह पूछा गया कि क्या भारत 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है तो बिजनेस एग्जीक्यूटिव ने हामी भरी लेकिन साथ ही कहा कि देश को दैनिक जरूरतों के लिए संघर्ष करने वालों और शीर्ष पर मौजूद लोगों के बीच का अंतर पाटना होगा।

इस बारे में वे कहते हैं कि मुझे लगता है सभी संख्याएं इसी ओर इशारा करती हैं। मगर हमें पिरामिड का निचला हिस्सा देखने की आवश्यकता है। आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि पिरामिड के निचले आधे हिस्से में रहने वाले 600 मिलियन से अधिक लोग अपने आर्थिक जीवन को अधिक टिकाऊ और सरकार पर कम निर्भर बनाने का रास्ता खोज सकें? यदि हम ऐसा कर सकें तो लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यही वह सेतु है जिसे हमें पार करना है। 



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