यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के समाप्त होने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। एक और सर्दी शुरू हो गई है और अमेरिका का ध्यान मध्य पूर्व में इजरायल-हमास युद्ध की ओर चला गया है। हाल ही में रूस ने यूक्रेनी क्षेत्र में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है। यह दिखाता है कि संघर्ष का कोई भी शांतिपूर्ण समाधान होने की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में यूक्रेन के विकल्प को लेकर अनिश्चितता पैदा होने के बीच भारत के मेडिकल छात्र उज्बेकिस्तान के 93 साल पुराने स्टेट समरकंद मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर देख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समरकंद मेडिकल यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। यूक्रेन युद्ध से पहले इस विश्वविद्यालय में सिर्फ 100-150 भारतीय छात्र थे, लेकिन फरवरी 2022 के बाद यह स्थिति बदल गई है। 2023 में लगभग 3,000 भारतीय मेडिकल छात्रों ने इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने लगभग 1,000 छात्रों को भी समायोजित किया है, जो युद्ध की वजह से यूक्रेन में अपने एमबीबीएस कोर्स के बीच में अटके हुए थे।
राज्य समरकंद चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जफर अमिनोव का कहना है कि भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर रहे हैं कि यह ट्रेंड जारी रहे और छात्रों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा कि हमने इस साल भारत से 40 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की है। हमारा शिक्षण और सीखना केवल अंग्रेजी में है। इसके साथ ही हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि छात्रों को उच्चारण में किसी भी अंतर से निपटने में मुश्किल न हो। उन्होंने कहा कि इस तरह, शिक्षक सांस्कृतिक रूप से छात्रों के करीब हैं। वे शिक्षक हमें छात्रों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद करते हैं।
बिहार के मधुबनी से एक छात्र मोहम्मद आफताब ने विश्वविद्यालय के अच्छे माहौल का उल्लेख किया और कहा कि यहां शिक्षक भारत, पाकिस्तान से आते हैं और उन्हें अच्छा ज्ञान है। उन्होंने कहा कि भाषा की बाधा जैसा कोई मुद्दा नहीं है। वे हमें उस भाषा में सिखाते हैं जिसके साथ हम सहज हैं।
एक अन्य भारतीय छात्र विशाल कटारिया का कहना है कि मैंने रूस, जॉर्जिया और अन्य देशों में भी कोशिश की। एक छात्र और एक भारतीय के रूप में मैं चाहूंगा कि मैं जहां भी जाऊं, यह भारत के समान होना चाहिए। मूल रूप से एक बार बाहर जाने के बाद बहुत सी चीजें बदल जाती हैं, जैसे भोजन और आपको नए वातावरण के अनुकूल होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि मैं बहुत ज्यादा बदलाव पसंद नहीं करता, इसलिए मैं एक ऐसी जगह चाहता था जो भारत के समान हो। हम यहां जिस पैटर्न का अध्ययन करते हैं, वह बिल्कुल वैसा ही है जैसा हम भारत में पढ़ते हैं। समरकंद विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि छात्रों को उजबेकिस्तान से एमबीबीएस के बाद भारत में अलग से मेडिकल लाइसेंस परीक्षा के लिए क्वॉलिफाई नहीं होना पड़ता है।
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