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मोदी सरकार 3.0 में मजबूत होगी भारत-अमेरिका साझेदारी, इस अमेरिकी एक्सपर्ट को भरोसा

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में अमेरिका-भारत पॉलिसी रिसर्च के प्रेसिडेंट रिचर्ड रॉसो का कहना है कि बहुत से अमेरिकी भारत में हालिया चुनाव के नतीजों से खुश हैं।

रिचर्ड रॉसो सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में अमेरिका-भारत पॉलिसी रिसर्च के प्रेसिडेंट हैं। /

अमेरिकियों को यह देखकर खुशी हो रही है कि भारत में अब भी जीवंत लोकतंत्र है। पिछले कुछ समय से लोकतांत्रिक व्यवस्था को हो रहे नुकसान को लेकर चिंताएं थीं, हालिया लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस पार्टी को मिला समर्थन स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली का संकेत देता है। ये कहना है कि सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में अमेरिका-भारत पॉलिसी रिसर्च के प्रेसिडेंट रिचर्ड रॉसो का। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जानते हैं कि भारत और अमेरिका कई अलग-अलग मंचों पर एकदूसरे से जुड़े हुए हैं। रक्षा सहयोग हो या आर्थिक सुधार, हम उन्हें एक भागीदार के रूप में देखते हैं। यह काफी अच्छा है। इसलिए मुझे लगता है कि दोनों ही मोर्चों पर बहुत से अमेरिकी चुनाव के नतीजों से खुश हैं।

नई सरकार का भारत-अमेरिका साझेदारी पर प्रभाव

रॉसो का मानना है कि भारत में गठबंधन सरकार बनने के बावजूद अमेरिका से साझेदारी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अमेरिका-भारत के संबंधों में किसी नाटकीय बदलाव आने जा रहा है। सैन्य संबंध में पिछले कुछ समय में काफी प्रगति हुई है। मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बड़ा बदलाव आने जा रहा है। 

रॉसो ने कहा कि 2014 में पहली बार मोदी सरकार के आने के बाद सुधारों में नाटकीय बदलाव आया था। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को काफी उदार बनाया गया था। शुरुआती वर्षों में ही करीब 40 सकारात्मक कदम उठाए गए थे। घरेलू स्तर पर जीएसटी और दिवालिया संहिता जैसे कई कदम उठाए गए। सहकारी संघवाद पर काम किया गया। इससे बेहतर कारोबारी माहौल बना। हालांकि पहले कार्यकाल के मध्य में और दूसरे कार्यकाल में इनमें से कई बड़े सुधारों में सुस्ती देखने को मिली है। 

'टीडीपी नेता चंद्रबाबू सुधारों के पैरोकार'

रॉसो ने तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) जैसे कई भारतीय दलों के साथ काम करने के अपने अनुभव के आधार पर कहा कि ये सुधारों के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं। कई मामलों में तो भाजपा से भी आगे हैं। उन्होंने बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) का जिक्र करते हुए कहा कि ये पार्टी भारत के सबसे कम विकसित राज्यों में से एक में विकास पर फोकस कर रही है।

रॉसो ने चंद्रबाबू नायडू के बारे में कहा कि वह लंबे समय से खुद को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने काफी काम किए हैं, खासतौर से अविभाजित आंध्र प्रदेश में। उन्होंने वरिष्ठ नौकरशाहों को सशक्त बनाया, विदेशी निवेश के लिए प्रयास किए और विकास पर ध्यान दिया। उन्होंने ऐसे मुद्दों पर काम किया, जिन्हें शायद पहले नजरअंदाज कर दिया गया था। 

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