संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग (DoD) और भारत के रक्षा मंत्रालय ने 22 अगस्त को सुरक्षा आपूर्ति व्यवस्था (SOSA) समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है।
गैर-बाध्यकारी समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पर औद्योगिक आधार नीति के लिए रक्षा विभाग के प्रधान उप सहायक सचिव डॉ.विक रामदास और भारत के रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) समीर कुमार सिन्हा ने हस्ताक्षर किए।
नव हस्ताक्षरित समझौते पर राष्ट्रीय रक्षा में योगदान देने वाली आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए पारस्परिक प्राथमिकता समर्थन सुनिश्चित करने के लिए हस्ताक्षर किये गये हैं। यह व्यवस्था दोनों देशों को एक-दूसरे से आवश्यक औद्योगिक संसाधन प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। इससे उन अप्रत्याशित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को प्रभावी ढंग से खत्म किया जा सकेगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
इस मौके पर डॉ. रामदास ने कहा कि आपूर्ति व्यवस्था की यह सुरक्षा अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदार संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करती है और अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगी। उन्होंने भविष्य में दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को गहरा करने के महत्व पर जोर दिया।
समझौते के तहत अमेरिका और भारत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय रक्षा संसाधनों के लिए एक-दूसरे के प्राथमिकता वितरण अनुरोधों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अमेरिका अपनी रक्षा प्राथमिकताओं और आवंटन प्रणाली (DPAS) के तहत भारत को आश्वासन देगा, जिसमें DoD द्वारा कार्यक्रम निर्धारण और वाणिज्य विभाग (DOC) द्वारा रेटिंग प्राधिकरण शामिल होगा। बदले में भारत अपने औद्योगिक आधार के साथ एक सरकारी-उद्योग आचार संहिता स्थापित करेगा जो भारतीय कंपनियों को अमेरिका के लिए स्वेच्छा से समर्थन को
प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
भारत अब SOSA के माध्यम से अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाला 18वां देश है। समान समझौते वाले अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, इज़राइल, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
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