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अमेरिका चुनाव : आखिर आ ही गया नस्ल का सवाल

घटनाएं बताती हैं कि नस्ल, रंग या पहचान का सवाल अमेरिका के समाज में एक कुरीति के तौर पर मौजूद रहा है लेकिन उसका इतना 'मुखर आलिंगन' महान लोकतंत्र की गौरवशाली भावना और आधारशिला के ही खिलाफ है।

राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस / X@KamalaHarris

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से हर बार नस्लीय हिंसा या भेदभाव का प्रतिकार करने वाली अमेरिका की राजनीतिक जमात क्या खुद इससे बरी हो पाई है? अमेरिका के चुनावी माहौल में सत्ता में वापसी का दावा करने वाली रिपब्लिकन पार्टी के लिए यह सवाल कितना मायने रखता है या हो गया है? या श्वेत-अश्वेत का भाव अमेरिका के चुनाव को किस हद तक प्रभावित कर सकता है... वगैरह-वगैरह। ये और इस तरह के तमाम सवाल अमेरिका की सियासी जंग में अचानक प्रासंगिक हो उठे हैं।

इसलिए क्योंकि व्हाइट हाउस में फिर से पहुंचने की आकांक्षा रखने वाले रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष पद के उम्मीदवार और पू्र्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेट उम्मीदवार और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से उनकी नस्ल पूछकर 'रंग' का राग छेड़ दिया है। चुनावी माहौल में यह सवाल किसी योजना अथवा रणनीति के तहत ही उठाया गया होगा। या कि इस सवाल का सीधा संबंध हाल में आई उन खबरों या सर्वेक्षणों से है जो बतौर राष्ट्रपति पद की दावेदार कमला हैरिस की बढ़ती लोकप्रियता की ओर ओर इशारा कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया तो ऐसा ही लगता है। ट्रम्प का सवाल है कि कमला अश्वेत हैं या भारतीय?

रिब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया है कि डेमोक्रेट कमला हैरिस राजनीतिक लाभ के लिए अपनी नस्ल का इस्तेमाल कर रही हैं। ट्रंप ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि कमला अश्वेत हैं या भारतीय हैं। ट्रंप ने शिकागो में आयोजित नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लैक में एक पैनल को बताया कि वह हमेशा भारतीय मूल की थीं और केवल भारतीय विरासत को बढ़ावा दे रही थीं। कई साल पहले अचानक वह अश्वेत हो गईं, तब तक मुझे नहीं पता था कि वह अश्वेत हैं। ट्रम्प के इस सवाल पर हैरिस का कहना है कि अमेरिका के लोग 'बेहतर पाने के अधिकारी' हैं। साथ ही हैरिस ने पलटवार करते हुए कहा कि ट्रम्प और उनका अभियान देश को 'पीछे' ले जाना चाहता है। बकौल कमला आज अमेरिका के लोगों को दो विचारधाराओँ में से एक का चुनाव करना है। ट्रम्प की इस टिप्पणी को व्हाइट हाउस ने अपमानजनक करार दिया है और साथ ही रिपब्लिकन उम्मीदवार को हिदायत भी दी है।

बहरहाल, यह बहस कितनी आगे बढ़ती है और यदि बढ़ती है तो मतदाता इसे लेकर क्या मन बनाएंगे या 'पहचान' वाकई चुनाव नतीजों को अंदरखाने गहराई से प्रभावित करेगी यह सब बातें या कयास ऐसे हैं जिनका उत्तर जल्द मिलने वाला नहीं है। लेकिन पहचान के इस प्रश्न की रिपब्लिक पार्टी के दावेदार से उम्मीद तो नहीं थी। इसलिए कि रिपब्लिक पार्टी अमेरिका की सत्ता में रही है और फिर पाना चाहती है। नेता या उम्मीदवार कोई हो उसकी ओर से उठाया गया कोई भी सवाल पार्टी के रुख का आधिकारिक प्रश्न बन जाता है। समान अवसरों और योग्यता के दम पर हर किसी का सपना साकार करने वाली धरती पर होने वाले लोकतांत्रिक अनुष्टान में पहचान कोई पैमाना नहीं होना चाहिए। घटनाएं बताती हैं कि नस्ल, रंग या पहचान का सवाल अमेरिका के समाज में एक कुरीति के तौर पर मौजूद है लेकिन उसका इतना 'मुखर आलिंगन' महान लोकतंत्र की गौरवशाली भावना और आधारशिला के ही खिलाफ है।  

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