अमेरिका की सियासत में बीते एक महीने के दौरान 'चुनावी ऊंट' ने तीन बार बड़ी करवट ली हैं। पहली बार 27 जून की वह 'डिबेट' जिसमें वर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प आमने-सामने थे। इसमें व्हाइट हाउस के फिर से दावेदार और डेमोक्रेट उम्मीदवार बाइडेन पर रिपब्लिकन प्रत्याशी ट्रम्प भारी पड़े थे। इस बहस ने अमेरिका में बड़ी बहस छेड़ी और बाइडेन को शीर्ष पद की दौड़ से बाहर करने की आवाजों ने जोर पकड़ा। यह मांग लगातार प्रबल होती चली गई। दूसरी तारीख है 13 जुलाई। उस दिन पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वह घायल हुए और सौभाग्य से बच गये। यह इस बार के राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से एक बड़ी घटना थी। और फिर आई 21 जुलाई जब डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से खुद को बाहर करने का ऐलान कर सबको चौंका दिया।
इसी दिन पहले से चल रहा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम पहली बार खुलकर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने आया क्योंकि दौड़ से हटने की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति बाइडेन ने हैरिस का इस पद के लिए सार्वजनिक तौर पर समर्थन कर दिया था। उन्होंने पूरी पार्टी से हैरिस के समर्थन में जुटने की बात कही। हालांकि अभी हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार घोषित नहीं की गई हैं लेकिन खबरों और सर्वेक्षणों के मुताबिक उनके नाम पर माहौल बन गया है या बन रहा है। डेमोक्रेटिक पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा अब संभवत: अगले महीने सम्मेलन में होगी। रिपब्लिकन पार्टी ट्रम्प को अपना आधिकारिक उम्मीदमार घोषित कर चुकी है।
जहां तक भारतीय मूल की कमला हैरिस की बात है तो राष्ट्रपति बाइडेन अपनी दावेदारी छोड़ने से पहले शीर्ष पद के लिए उनके नाम का इशारा कर चुके थे। राष्ट्रपति ने कह दिया था कि कमला हैरिस अच्छी उप राष्ट्रपति हैं और देश की राष्ट्रपति हो सकती हैं। अब कहा जा रहा है कि कमला हैरिस को लेकर पार्टी से लेकर समर्थकों और मतदाताओं में माहौल और मन बन रहा है। कुछ दिन पहले एक पोल आया है जिसमें हैरिस के ट्रम्प पर 2 अंकों की बढ़त का दावा किया गया है। रॉयटर्स/इप्सोस के इस पोल में हैरिस ने ट्रम्प के ऊपर 2 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है। यह पोल जो बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान से हटने की घोषणा के बाद पिछले सोमवार-मंगलवार (यानी 22-23 जुलाई) को किया गया था। इससे पहले के एक सर्वे में हैरिस और ट्रम्प बराबरी (44 प्रतिशत समर्थन) पर थे।
अगर सर्वे पर यकीन करें तो लग रहा है कि हैरिस की लोकप्रियता बढ़ रही है। हालांकि ट्रंप के अभियान ने हैरिस की बढ़त को अहम नहीं बताया लेकिन सर्वेक्षण कर्ता टोनी फैब्रीजियों का कहना है कि हैरिस की लोकप्रियता में हो रही वृद्धि संभवतः कुछ समय के लिए होगी। ऐसा हो भी सकता है। आपको याद होगा कि इस चुनाव में शुरुआत से ही, जब से यह लगभग तय हुआ कि 2024 में भी 2020 वाले उम्मीदवार ही आमने-सामने होंगे, यह बात रही है कि लगभग दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों को मतदाता कहीं न कहीं नापसंद करते रहे हैं। बाइडेन को किन्ही कारणों से तो ट्रम्प को किसी वजह से। मगर जब चयन के लिए विकल्प ही दो बचे तब दोनों में से किसी एक को चुनने पर बात आ गई। लेकिन बाइडेन के हटते ही तीसरा विकल्प खुल गया है। एक महिला के रूप में। इसलिए हो सकता है कि हैरिस के प्रति लोकप्रियता की यह बयार इस कारण भी हो। चंदे में जबर्दस्त उछाल, पार्टी के दिग्गजों का समर्थन और सर्वेक्षणों के दावे फिलहाल तो यही दर्शा रहे हैं कि माहौल बदल रहा है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी हैरिस को समर्थन का ऐलान कर चुके हैं।
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