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हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में US और भारत की रैंकिंग में गिरावट, सिंगापुर आगे, जापान दूसरे नंबर पर

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट ने वैश्विक यात्रा की तस्वीर को उजागर किया है, जिसमें भारत और अमेरिका जैसे प्रमुख देशों के पासपोर्ट की रैंकिंग में गिरावट देखने को मिली है। सिंगापुर 195 वीजा-मुक्त देशों के साथ शीर्ष पर है और जापान दूसरे स्थान पर।

प्रतीकात्मक तस्वीर / istock

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय पासपोर्ट पांच पायदान नीचे खिसक गई है। ये अब दुनिया के सबसे पावरफुल पासपोर्ट्स की लिस्ट में 80वें स्थान से खिसककर 85वें नंबर पर आ गया है। इस सूचि के मुताबिक भारत अब इक्वेटोरियल गिनी और नाइजर के साथ अपनी स्थिति साझा करता है, जो भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए वैश्विक गतिशीलता में गिरावट को दर्शाता है। 

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के 199 देशों के पासपोर्ट्स को इस आधार पर रैंक करता है इससे बिना वीजा के कितनी जगहों पर जाया जा सकता है। ये इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के खास टिमेटिक डेटा पर आधारित है। 

अमेरिकी पासपोर्ट की ग्लोबल मोबिलिटी में भी काफी कमी आई है। पिछले दस वर्षों में इसकी रैंकिंग दूसरे नंबर से गिरकर नौवें नंबर पर आ गई है। अब अमेरिकी पासपोर्ट से बिना वीजा 186 जगहों पर जाया जा सकता है। यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कई यूरोपीय देशों से कम है। 

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की सीनियर एसोसिएट एनी फोर्जिमर ने कहा, 'ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल से पहले ही अमेरिकी राजनीतिक रुझान अंदर की ओर और अलग-थलग रहने वाले बन गए थे। अगर टैरिफ और डिपोर्टेशन ट्रम्प प्रशासन की पॉलिसी बनी रहती है, तो अमेरिका की मोबिलिटी इंडेक्स में रैंकिंग और नीचे गिर सकती है।'

वहीं, अब अमेरिकी नागरिक दूसरी नागरिकता लेने वालों में सबसे बड़ा समूह भी हैं। हेलने एंड पार्टनर्स को 2024 में मिले सभी आवेदनों का 21 प्रतिशत अमेरिकी नागरिकों का था। सीईओ डॉ. जुर्ग स्टीफन ने कहा, 'बेहद अनिश्चितता के दौर में, निवेशक और अमीर परिवार जोखिम से बचने और अपनी निजी जिंदगी, पैसों और जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए भौगोलिक राजनीतिक रणनीति अपना रहे हैं।'

सिंगापुर ने दुनिया के सबसे पावरफुल पासपोर्ट का अपना स्थान वापस पा लिया है। 227 देशों में से 195 देशों में बिना वीजा के घुमा जा सकता है। इसने जापान को पीछे छोड़ दिया, जो अब 193 के स्कोर के साथ दूसरे नंबर पर है। कोविड लॉकडाउन के बाद चीन में फिर से बिना वीजा जाने की सुविधा मिलने के बावजूद जापान की रैंकिंग नीचे गिरी है।

फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे कई यूरोपीय संघ के देशों की रैंकिंग दो स्थान नीचे गिरकर तीसरे स्थान पर आ गई है। इन देशों में बिना वीजा 192 जगहों पर जाया जा सकता है। फिनलैंड और साउथ कोरिया भी इनके साथ तीसरे स्थान पर हैं। चौथे स्थान पर सात यूरोपीय संघ के देश – ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे और स्वीडन – हैं। यहां से बिना वीजा 191 जगहों पर जाया जा सकता है। बेल्जियम, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड और यूके पांचवें स्थान पर हैं, जहाँ बिना वीजा 190 जगहों पर जाया जा सकता है। 

इंडेक्स के सबसे नीचे अफगानिस्तान का पासपोर्ट है, जो सबसे कम पावरफुल है। पिछले साल से इसमें दो और देशों में बिना वीजा जाने की सुविधा कम हो गई है। इस बढ़ते अंतर से एक बड़ा अंतर दिखता है – सिंगापुर के नागरिक बिना वीजा 169 ज्यादा जगहों पर जा सकते हैं, जितनी जगहों पर अफगान पासपोर्ट धारक नहीं जा सकते।

हेनले एंड पार्टनर्स के चेयरमैन डॉ. क्रिश्चियन एच. काएलिन ने कहा, 'जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा आम और गंभीर होती जा रही हैं। इसी के साथ, कई इलाकों में राजनीतिक अस्थिरता और सशस्त्र संघर्षों के कारण लाखों लोग सुरक्षा और शरण की तलाश में अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं।' 

यूरोपीय देशों के अलावा, ऑस्ट्रेलिया 189 देशों में बिना वीजा जाने की सुविधा के साथ छठे, कनाडा 188 देशों के साथ सातवें और यूएई 185 देशों के साथ टॉप टेन में शामिल है। यूएई पिछले दस सालों में 32 स्थान ऊपर चढ़ा है और 2015 के बाद से 72 अतिरिक्त देशों में बिना वीजा जाने की सुविधा मिली है।

इस बीच, चीन 2015 में 94वें स्थान से 2025 में 60वें स्थान पर पहुंच गया है और बिना वीजा जाने वाले देशों की संख्या में 40 देशों की बढ़ोतरी हुई है। चीन ने अपनी खुलेपन में भी सुधार किया है और 58 देशों के लिए बिना वीजा प्रवेश के साथ 80वें स्थान पर है। इससे चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है, जो केवल 46 देशों के लिए प्रवेश की अनुमति के साथ 84वें स्थान पर है। 

 

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