ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल का एक और शख्स इतिहास रचने जा रहे हैं। भारतीय मूल के बैरिस्टर वरुण घोष अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलियाई सीनेट में अपना पद संभालेंगे। लेबर पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उन्हें पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया (WA) का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है। इस ऑस्ट्रेलिया के राजनीतिक परिदृश्य में बहुसांस्कृतिक समुदायों के प्रतिनिधित्व में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
WA संसद की संयुक्त बैठक में वर्तमान सीनेटर पैट्रिक डोडसन की जगह लेने के लिए फ्रांसिस बर्ट चेम्बर्स के बैरिस्टर 38 वर्षीय घोष को चुना गया। मीटिंग में घोषणा की गई कि विधान सभा और विधान परिषद ने संघीय संसद की सीनेट में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए सीनेटर वरुण घोष को चुना है। बताया गया है कि पैट्रिक स्वास्थ्य कारणों से रिटायर हो रहे हैं।
घोष ने कहा कि उनका चयन एक ऐसा सम्मान है जिसे वह पूरी तरीके से निभाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे अच्छी शिक्षा का सौभाग्य मिला और मेरा दृढ़ विश्वास है कि उच्च गुणवत्ता शिक्षा और प्रशिक्षण हर किसी के लिए उपलब्ध होना चाहिए।
वरुण घोष का जन्म 30 अगस्त 1985 को कैनबरा में हुआ था। उनके माता-पिता 1980 के दशक में भारत से ऑस्ट्रेलिया गए थे। उनके माता-पिता दोनों ने वहां डॉक्टर के रूप में काम किया था। वह 1997 में अपने माता-पिता के साथ पर्थ चले गए, जहां उन्होंने क्राइस्ट चर्च ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय (UWA) में कला और कानून का अध्ययन किया और बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री हासिल की।
UWA में समय बिताते समय वह विश्वविद्यालय के गिल्ड काउंसिल में अध्यक्ष और सचिव के रूप में सक्रिय भी थे। उनका लीगल करियर महत्वपूर्ण उपलब्धियों और विविध अनुभव से भरा है। फ्रांसिस बर्ट चेंबर में काम करते हुए घोष के पास एक प्रभावशाली लीगल बैकग्राउंड है, जो कमर्शियल और प्रशासनिक कानून, और औद्योगिक संबंध और रोजगार कानून पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने न्यूयॉर्क में एक फाइनैंस वकील के रूप में और वाशिंगटन, डीसी में विश्व बैंक के लिए एक सलाहकार के रूप में भी काम किया है।
उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण के प्रति घोष का समर्पण सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में साफ तौर पर दिखता है। सीनेट में उनकी नियुक्ति न केवल उनकी उपलब्धियों को बताती है, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में बढ़ती विविधता को भी दर्शाती है।
अपनी नई भूमिका में वह नए दृष्टिकोण के साथ ऑस्ट्रेलिया में बहुसंस्कृतिक समुदायों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करेंगे। घोष के सेनेट सीट के लिए चयन को पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की संसद ने समर्थन दिया है, जिससे उन्हें फेडरल भूमिका को आधिकारिक रूप से संभालने की राह मिल गई है।
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