भारतीय मूल की बोधना शिवानंदन की उम्र महज 9 साल है और वह इतनी छोटी उम्र में इतिहास रचने जा रही हैं। बोधना को शतरंज में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है। वह देश की महिला चेस टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं।
कोरोना लॉकडाउन के दौरान पहली बार शतरंज को हाथ लगाने वाली बोधना अब सितंबर में हंगरी के बुडापेस्ट में शतरंज ओलंपियाड में इंग्लैंड की महिला टीम का हिस्सा बनेंगी। इस टीम की बाकी महिला खिलाड़ी 23 से 40 साल के बीच है। उनकी टीम में बोधना के बाद सबसे युवा खिलाड़ी 23 वर्षीय लान याओ है।
बोधना उत्तर-पश्चिम लंदन के हैरो में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर शिवानंदन की बेटी हैं। शिवा ने बीबीसी को बताया कि बोधना को पहली बार कोरोना लॉकडाउन के दौरान शतरंज मिला था। उनका एक दोस्त भारत जा रहा था, तब उन्होंने उसे कुछ बैग दिए जिसमें शतरंज का बोर्ड भी था। उन्होंने बोधना को यूट्यूब के जरिए शतरंज की बारीकियां सीखने के लिए प्रेरित किया। बस उसके बाद शतरंज के मोहरों के साथ बोधना की प्रतिभा दिनोंदिन निखरती चली गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंग्लैंड की शतरंज टीम के मैनेजर मैल्कम पीन ने बोधना को ब्रिटिश शतरंज की विलक्षण खिलाड़ियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि यह वाकई रोमांचक है, वह इतनी छोटी उम्र में ही निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश खिलाड़ियों में से एक बन चुकी हैं।
बोधना पिछले साल दिसंबर में उस समय चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने क्रोएशिया में यूरोपीय ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप जीती थी। उस समय उन्हें सुपर टैलेंटेड करार दिया गया था। इससे पहले उन्होंने वर्ल्ड अंडर 8 चेस चैंपियनशिप में जीत हासिल करके पिछले 25 वर्षों में इंग्लैंड की पहली वर्ल्ड यूथ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था।
इसके बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने उन्हें अन्य युवा शतरंज खिलाड़ियों के साथ 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर आमंत्रित करके सम्मानित किया था। बोधना को ब्रिटिश सरकार के एक मिलियन पाउंड के फंड से अनुदान भी दिया गया था। यूके के शिक्षा विभाग की तरफ से पूरे इंग्लैंड में 2,000 से अधिक स्कूलों को यह अनुदान दिया जाता है।
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